New Delhi: Road Accident सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सड़क हादसे के मामले में जिस व्यक्ति पर लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है, उसकी भूमिका चूक में होनी चाहिए। अगर कोई सावधानी से वाहन चलाता है और टक्कर से बचने में विफल रहता है तो यह अपने आप में लापरवाही नहीं मानी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता की अगुवाई वाली बेंच ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक महिला व उसके बच्चों की अपील पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा था कि महिला का पति जो दिवंगत हो चुके हैं वह भी लापरवाही के दोषी हैं।
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ट्रक से जब टक्कर लगी तब महिला के पति कार चला रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया और कहा कि असाधारण सावधानी बरतकर टक्कर से बचने में नाकाम रहना अपने आप में लापरवाही नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला साक्ष्य पर आधारित नहीं है बल्कि सिर्फ एक अनुमान है।
हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर ट्रैफिक नियमों के तहत सावधानी से वाहन चालक कार चलाता तो वह घटना नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि ऐसा कोई भी तथ्य रेकॉर्ड पर नहीं है कि कार चालक कार को मीडियम स्पीड से नहीं चला रहा था और उसने ट्रैफिक नियम नहीं माने।
सुप्रीम कोर्ट ने मृतक की पत्नी और बच्चों की अपील स्वीकार कर लिया और हाई कोर्ट के फैसले में बदलाव किया। सुप्रीम कोर्ट ने महिला और बच्चों को 9 फीसदी ब्याज के साथ 5 लाख रुपये भुगतान किए जाने का निर्देश दिया। घटना 10 फरवरी, 2011 की है। कार से ट्रक की टक्कर हो गई थी। आरोप है कि ट्रक चालक ने अचानक से ट्रक रोक दी थी और कार उससे टकरा गई थी जिस कारण कार चालक की मौत हो गई।