Ranchi: धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड में झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि जब वह (अदालत) इस मामले को सीबीआई को सौंपना चाह रही थी, तो महाधिवक्ता ने कहा कि ऐसा करने पर राज्य की पुलिस का मनोबल गिरेगा। लेकिन अब सरकार ही सीबीआई को मामला सौंपकर यू-टर्न लिया है।
इस पर महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में दूसरे राज्यों से भी तार जुड़ने की संभावना है। इसलिए यह मामला सीबीआई जांच के लिए बिल्कुल सही है। क्योंकि राज्य की पुलिस को दूसरे राज्यों में जाकर जांच करने में परेशानी होगी।
अदालत ने कहा कि जब सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की अनुसंशा की है, तो तत्काल सीबीआई इस मामले की जांच शुरू कर दे, ताकि किसी प्रकार के साक्ष्य से छेडछाड़ नहीं की जा सके। अदालत ने कहा कि वह इस मामले की निगरानी करती रहेगी।
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सीबीआई के अधिवक्ता ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार का पत्र 31 अगस्त को डीओपीटी को मिला है। इसकी सूचना सीबीआई को दी गई है। उनकी जानकारी के मुताबिक बुधवार को सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच दिल्ली सीबीआई करेगी। अदालत ने राज्य सरकार को केस से संबंधित दस्तावेज, सबूत और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने का निर्देश दिया है। ताकि इस मामले की जांच तत्काल शुरू की जा सके।
इस दौरान अदालत को बताया गया कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई होनी है। अगर सीबीआई जल्द से जल्द जांच शुरू करती है, तो इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट के भी दी जा सकती है। इस पर अदालत ने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद ही आदेश पारित किया जाएगा।
धनबाद में तत्काल न्यायिक पदाधिकारियों का बढ़ाएं सुरक्षा
सुनवाई के दौरान अदालत में वीसी के जरिए हाजिर हुए डीजीपी से कोर्ट ने कहा कि वर्तमान की स्थिति को देखते हुए तत्काल धनबाद कोर्ट और न्यायिक पदाधिकारियों की पुख्ता सुरक्षा का इंतजाम किया जाए। इस घटना से न्यायिक पदाधिकारियों का मनोबल जरूर नीचे आया होगा।
इसलिए तत्काल धनबाद स्थिति न्यायिक पदाधिकारियों के आवसीय क्षेत्र में पुलिस बल की तैनाती की जाए। ताकि वे निर्भय होकर अदालतीय काम में शामिल हो सकें। इस दौरान अदालत ने कहा कि आवास पर एक गुणा चार के पुलिस कर्मियों को पदस्थापित किया जाए।
एसआईटी ने अदालत में दाखिल की स्टेट्स रिपोर्ट
सुनवाई के दौरान अदालत में एसआईटी की ओर से जांच की स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की गई। इस पर अदालत ने नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि जब सीसीटीवी फुटेज में यह दिख रहा है कि ऑटो में बैठे एक व्यक्ति ने हमला किया है, तो इसका खुलासा करना जांच एजेंसी का काम है।
इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी का फायदा निचली अदालत में बचाव पक्ष उठाएगा और उसको जांच की खामियों का पूरा लाभ मिलेगा। अदालत ने कहा कि जब घटना सुबह पांच बजे की है तो प्राथमिकी दर्ज करने में छह घंटे की देरी क्यों हुई। जबकि सीसीटीवी फुटेज में जज को तत्काल अस्पताल भेजा गया है।