रांची। झारखंड हाईकोर्ट में छठी जेपीएससी के अंतिम परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने इस मामले में चयनित सभी 326 अभ्यर्थियों को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि इस मामले में एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया जाए और इसका प्रकाशन अखबार में हो, जिससे सभी लोग अपना पक्ष अदातल में रख सकें। इसके बाद अदालत ने इस मामले की सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित की है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया कि छठी जेपीएससी के अंतिम परिमाण जारी करने में कई गड़बड़ी की गई है। विज्ञापन की शर्तों के अनुसार पेपर वन (हिंदी व अंग्रेजी) में सिर्फ क्वालिफाइंग मार्क्स लाना था ताकि दोनों विषयों के जानकार इस परीक्षा में उत्तीर्ण हो सके। लेकिन जेपीएससी ने क्वालिफाइंग मार्क्स को भी कुल प्राप्तांक में जोड़ दिया। इससे वैसे अभ्यर्थियों का चयन हो गया, जिनको पेपर वन में ज्यादा नंबर मिले थे। इसलिए अंतिम परिणाम को रद्द कर देना चाहिए।
इस दौरान अदालत को बताया गया कि इस मामले में चयनित अभ्यर्थियों को भी प्रतिवादी बनाने के लिए आवेदन दिया गया है। इस पर अदालत ने सभी चयनित अभ्यर्थियों को प्रतिवादी बनाने की मांग को स्वीकार करते हुए अखबारों में नोटिस प्रकाशन करने का निर्देश दिया। प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व विकास कुमार ने पक्ष रखा। वहीं, जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल व प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत में पक्ष रखा।गौरतलब है कि प्रदीप राम व दिलीप कुमार सिंह सहित अन्य 16 याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल की गई है, जिसमें अंतिम परिणाम को रद करने की मांग की गई है।
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