रांचीः विवादित जमीन के करीब छह दशक पुराना दखल एवं कब्जा कर घर बनाकर रहने से जुड़े मामले को मध्यस्थता केंद्र रांची के मध्यस्थ विजय लक्ष्मी श्रीवास्तव एवं अधिवक्ताओं ने मिलकर सुलझाया लिया है। यह वाद सुप्रीम कोर्ट में 2022 से लंबित था। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने लंबित वाद को सुलह के लिए मध्स्थता केंद्र रांची भेज दिया था। यहां अधिवक्ता मध्यस्थ विजय लक्ष्मी श्रीवास्तव एवं दोनों पक्षों के अधिवक्ता बिपिन कुमार पांडे व लक्ष्मीकांत सोनी के योगदान से दोनों पक्षों के बीच सुलह हुआ। दरअसल, अरविंद गिरि व उनके परिजन जमीन विवाद का मामला एसएआर कोर्ट रांची में हार गए। इसकी चुनौती एसी कोर्ट, कमीशनर कोर्ट, झारखंड हाईकोर्ट में दी। जहां एसएआर कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा गया। इसके बाद भी जिद्द नहीं छोड़ी और हक की लड़ाई लेकर अरविंद गिरि 2022 में सुप्रीम कोर्ट लेकर पहुंचे।
सुप्रीम कोर्ट में 29 जूलाई से 3 अगस्त तक लगनेवाली विशेष लोक अदालत में इस वाद को निष्पादन किया जाएगा। इसमें प्रथम पक्ष अरविंद गिरि एवं द्वितीय पक्ष मुन्नी हेम्ब्रम के बीच केस चल रहा था। दोनों पक्ष एसएआर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अपनी लड़ाई जारी रखी थी। अरविंद गिरि व अन्य का विवादित जमीन पर 1956 से दखल एवं कब्जा है। जिस पर घर बनाकर रहते आ रहे है। उस पर अरविंद गिरि ने मुन्नी हेम्ब्रम को प्रस्ताव दिया गया। जिस पर दोनों पक्षों में 40 लाख 50 हजार रुपए में जमीन छोड़ने पर सहमति बनी।
अरविंद गिरि ने मुन्नी हेंब्रम व अन्य को सहमति राशि सौंपी। अरविंद गिरि से विवादित जमीन पर क्षतिपूर्ति रकम लेने के बाद छोड़ने को तैयार हुआ और अपनी सहमति जताई। डालसा सचिव कमलेश बेहरा ने कहा कि मध्यस्थ एवं अधिवक्ताओं के सुझबुझ से प्रतिदिन कई बैठकों में मामले की गंभीरता को देखते हुए, दोनों पक्षों को समझकर उनके बीच हुए विवाद को सुलझा लिया गया। जो कि एक सराहनीय कदम हैं, जिससे समाज में एक अच्छा संदेश जाता है।