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गंदगी का आंबार देख कोर्ट ने कहा- अपनी अंतिम सांसे ले रहा बड़ा तालाब, जलस्रोतों को बचाए सरकार

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रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने रांची बड़ा तालाब में फैली गंदगी की तस्वीरें देकर कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि बड़ा तालाब की तस्वीरे विचलित करने वाली हैं। इसे देखकर प्रतीत होता है कि बड़ा तालाब अपनी अंतिम सांसे ले रहा है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने कहा कि जलस्रोतों को बचाना सरकार का काम है। अगर हम समय रहते इसको लेकर सजग नहीं हुए तो आने वाले पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी। अदालत ने कहा कि आधुनिक विकास से प्रदूषण और जलस्रोतों को समाप्त कर दिया है। इसके बचाने के लिए हमें प्रयास करना होगा क्योंकि पानी हम नहीं बना सकते हैं। ऐसे में मानवता समाप्त हो सकती है।

अदालत ने मौखिक रूप से कहा ऐसा प्रतीत होता है कि इस तालाब को बचाने का कभी प्रयास नहीं किया गया। सुधार के बदले यहां की हालत नारकीय होती चली गई। यह गंभीर मामला है। अदालत ने जलस्रोतों को संरक्षित करने के लिए सरकार की ओर से की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है। साथ ही नगर निमग को तुरंत बड़ा तालाब के पास हुए अतिक्रमण हटाने और साफ- सफाई करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान नगर विकास सचिव ने हाईकोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश पर हटिया डैम और गेदसूत डैम में आने वाली पानी के बारे में जानकारी के लिए एक रिसर्च कमेटी का गठन किया गया है।

कांके डैम के कैचमेंट एरिया में हुए अतिक्रमण को लेकर निगम की ओर से सर्वे किया गया है इसमें अतिक्रमण करने वाले 97 लोगों को चिन्हित किया गया है। साथ ही धुर्वा डैम, बड़ा तालाब सहित रांची में स्थित 14 अन्य तालाबों के बारे में स्टडी करने के लिए एसडीओ की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। नगर विकास सचिव ने कहा कि रांची में पथरीली जमीन होने की वजह से जलस्रोतों को लिए फिडिंग चैनल नहीं है। यहां पर भूमिगत जल और तालाबों में आने वाले पानी के लिए कोई रिसर्च नहीं की गई है। लेकिन राज्य सरकार ने इनके संरक्षण यहां बनने वाले भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग लगाने पर जोर दिया गया है।


सुनवाई के दौरान अदालत ने जलाशयों और डैमों के किनारे अतिक्रमण की जानकारी मांगी। इस पर अधिवक्ता खुशबू कटारूका मोदी की ओर से बड़ा तालाब और उसके आसपास की तस्वीर पेश की गई। इस दौरान अदालत को बताया गया कि बड़ा तालाब, कांके डैम समेत प्राय: सभी जलाशयों के किनारे अतिक्रमण किया गया है। जलाशयों के कैचमेंट एरिया को भी बदल दिया गया है। अतिक्रमण के कारण जलाशयों की स्थिति खराब हो रही है। आवासीय मोहल्लों का पानी जलाशयों में जाने से पानी प्रदूषित हो गए हैं। जबकि बड़ा तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। सुंदरीकरण का काम वर्ष 2016 से किया जा रहा है और चारों ओर कंकरीट की बाउंड्री बना दी गई है।

सुनवाई के बाद अदालत ने नगर विकास सचिव और नगर निगम के आयुक्त के एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह बताने को कहा है कि बड़ा तालाब समेत जलाशयों को संरक्षित करने के लिए क्या क्या कदम उठाए गए हैं। जलाशयों के किनारे अतिक्रमण है या नहीं । यदि अतिक्रमण है तो उन्हें क्यों नहीं हटाया गया है। इसके साथ भावी योजनाओं की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया।

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Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

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