Ranchi: JPSC AE Exam सुप्रीम कोर्ट में राज्य में सहायक अभियंताओं की नियुक्ति में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को पिछली रिक्तियों में भी आरक्षण देने के खिलाफ दाखिल एसएलपी पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार और जेपीएससी को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फिलहाल नियुक्ति परीक्षा पर किसी प्रकार के हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया। लेकिन कहा कि उक्त नियुक्ति कोर्ट के अंतिम आदेश से प्रभावित होगी। अदालत ने कहा कि इस मामले व्यापकता को देखते हुए हर कानूनी पहलू पर विस्तृत सुनवाई जरूरी है।
इसको लेकर उत्तम कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने वर्ष 2019 में नियुक्तियों में आर्थिक रूप से सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का कानून बनाया है। आरक्षण का लाभ कानून बनने के बाद से होने वाली नियुक्तियों में ही लागू हो सकता है।
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लेकिन झारखंड सरकार ने वर्ष 2015 से 2019 तक की सभी रिक्तियों में सवर्णों को आरक्षण देने का प्रावधान किया है, जो कि यह गलत है। झारखंड हाई कोर्ट की एकलपीठ ने कानून बनने के पहले की रिक्तियों में गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के लाभ को गलत बताया था और विज्ञापन को रद कर दिया था। अदालत ने नियुक्ति के लिए दोबारा विज्ञापन निकालने और वर्ष 2019 के बाद की रिक्तियों में ही सवर्णों को आरक्षण देने का निर्देश दिया था। प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता सौरभ शेखर ने पक्ष रखा।
खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को किया निरस्त
एकलपीठ के आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार ने हाई कोर्ट की खंडपीठ में अपील दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सरकार के पिछली रिक्तियों में सवर्णों के आरक्षण के निर्णय को सही बताया था और एकलपीठ के आदेश को रद कर दिया था।
खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि नियुक्ति प्रक्रिया जिस दिन से शुरू होती है उसी समय का नियम लागू होता है। पहले की रिक्तियां भी नए नियम के तहत ही भरी जातीं हैं। अदालत ने सरकार के निर्णय को सही ठहराते हुए जेपीएससी को नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया था।
खंडपीठ के आदेश के खिलाफ एसएलपी दाखिल
झारखंड हाई कोर्ट के खंडपीठ के आदेश के खिलाफ उत्तम कुमार उपाध्याय एवं अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। याचिका में हाई कोर्ट के खंडपीठ के आदेश को रद करने का आग्रह किया गया है। बुधवार को इसी याचिका पर सुनवाई हुई।