रांची। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जेल कैदियों को रिहा करने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने प्रार्थी शैलेश पोद्दार को इसके लिए गृह विभाग के यहां आवेदन देने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। उस पर सुप्रीम कोर्ट ने भरोसा भी जताया है। ऐसे में हाईकोर्ट कोई निर्देश नहीं दे सकती है।
अदालत ने कहा कि गृह विभाग इस मामले के लिए गठित उच्च स्तरीय कमेटी से चर्चा कर किसी प्रकार की निर्णय ले सकती है। इस निर्देश के साथ ही अदालत ने यह याचिका निष्पादित कर दी। इस संबंध में प्रार्थी शैलेश पोद्दार की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया था कि राज्य के जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं। कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का निर्देश दिया, जो विचार विमर्श कर कुछ कैदियों को रिहा करने पर निर्णय ले।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस एचसी मिश्र की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। उच्च स्तरीय कमेटी के निर्णय के बाद राज्य में कुछ कैदियों को रिहा किया गया है, लेकिन कोरोना संक्रमण बढ़ते खतरे को देखते हुए कमेटी को फिर से इसकी समीक्षा कर कैदियों को रिहा करना चाहिए। लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए प्रार्थी को गृह विभाग को आवेदन देने का निर्देश दिया।