निजी स्कूलों में पढ़ रहे कम आय वर्ग (EWS) से संबंध रखने वाले दर्जनों छात्र-छात्राओं के परिजनों को अपने बच्चों की शिक्षा को जारी रखने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। हाई कोर्ट ने परिजनों की याचिका पर 35 छात्रों राहत दी है। कोर्ट ने निजी स्कूलों को छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही यह भी कहा है कि ईब्ल्यूएस कोटे के तहत नर्सरी में दाखिला पाने वाले छात्र 12वीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा पाने के हकदार हैं।
दरअसल, सत्र 2024-25 में बहुत सारे निजी स्कूलों ने अपने स्कूलों से ईडब्ल्यूएस कोटा से आठवीं पास करने वाले छात्रों का नाम काट दिया है। स्कूलों का कहना था कि नर्सरी से अब तक ईडब्ल्यूएस कोटे से पढ़ रहे छात्रों को आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए पूरी फीस भरनी होगी। इस मुद्दे को लेकर वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट में 42 से ज्यादा छात्रों के परिजनों की तरफ से शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) 1973 के तहत याचिकाएं दाखिल की गईं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने छात्रों को दोबारा दाखिला देने का अंतरिम आदेश पारित किया है।
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने एक निजी स्कूल की ओर से कई छात्रों का नाम काटे जाने पर आपत्ति जताई। बेंच ने कहा कि मुद्दा बेहद गंभीर है। इस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। किसी भी हाल में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए। स्कूल तत्काल दोबारा संबंधित कक्षा में दाखिला दें।
नियम का नहीं हो रहा पालन
वकील अशोक अग्रवाल ने हाईकोर्ट में कम आय वर्ग के छात्रों का पक्ष रखते हुए कहा कि दिल्ली शिक्षा अधिनियम 1973 का पालन नहीं किया जा रहा है। निजी स्कूल खुले आम नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। नियम के अनुसार रियायती दरों पर जमीन लेने वाले निजी स्कूल आठवीं पास करने के बाद छात्रों को ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत शिक्षा देने से इनकार नहीं कर सकते।
नौवीं के छात्रों को दाखिला नहीं मिला
निजी स्कूलों की दिक्कतें तो जगजाहिर हैं, लेकिन दिल्ली के सरकारी स्कूलों का हाल भी बेहद खराब है। सत्र 2023-2024 की परीक्षा में सरकारी स्कूल के नौवीं कक्षा के करीब ढाई लाख छात्रों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से 1.20 लाख छात्र फेल हो गए थे। इनमें 17 हजार छात्र-छात्राएं दूसरी बार नौवीं कक्षा में फेल हुए हैं। स्कूलों ने इन्हें दाखिला देने से इनकार कर दिया है।