रांची के आरईओ वर्क्स डिवीजन से जुड़ा मामला
मामले में आरोपियों का बयान दर्ज, बहस तीन जून से जारी
Court News: सड़क मरम्मत का कार्य फाइलों में दिखाकर आरईओ वर्क्स डिवीजन रांची के इंजीनियरों ने ठेकेदारों की मिली भगत से लाखों रुपये सरकारी राशि का गबन करने से जुड़े 25 साल पुराने एक मामले में जल्द ही फैसला आएगा। अलकतरा घोटाले के नाम से चर्चित इस मुकदमे में तीन आरोपी जूनियर इंजीनियर विवेकानंद चौधरी, कुमार विजय शंकर (दोनों सेवानिवृत्त) एवं बिनोद कुमार मंडल ट्रायल फेस कर रहा है।
तीनों का बयान सीबीआई कोर्ट ने दर्ज कर लिया है। सीबीआई की ओर से जारी गवाही खत्म होने के बाद अदालत ने तीनों आरोपियों को तलब किया था। मामले में अब तीन जून से बहस जारी है। बहस पूरी होते ही मामला फैसला पर चला जाएगा। तीनों पर आरईओ वर्क्स डिवीजन रांची में पदस्थापित रहते हुए पद का दुरुपयोग करते हुए आपराधिक षडयंत्र के तहत लाखों रुपए सरकारी राशि का गबन करने का आरोप है।
वर्ष 1992 से 1997 के बीच का मामला
यह घोटाला साल 1992-93 से लेकर 1997 तक जारी रहा। घोटाला प्रकाश में आने के बाद इसकी जांच सीबीआई से कराई गई। सीबीआई ने छह दिसंबर 1999 को प्राथमिकी दर्ज कर तफ्तीश प्रारंभ की। जांच पूरी करते हुए सीबीआई ने पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इसमें दो की मृत्यु ट्रायल के दौरान हो गई है।
12 में से 11 सड़क की मरम्मत फाइलों में
आरोपियों ने 12 सड़क की मरम्मत का कार्य दिखा उसी के अनुसार बिटुमिन की मांग की गई। लेकिन आरोपियों ने 11 सड़क की मरम्मत का कार्य फाइलों में दिखाकर सरकारी राशि का गबन कर लिया गया था। लगभग 1500 मैट्रिक टन बिटुमिन आईओसीएल से ट्रांसपोर्टर के माध्यम से आरोपियों ने प्राप्त किया। लानेवाले को ट्रांसपोर्टर चालान भी दिया। लेकिन स्टॉक रजिस्टर में प्राप्ति से काफी कम मात्रा दिखाया गया। इस गबन को छुपाने के लिए एक फर्जी एकाउंट जनवरी 1997 को तैयार किया गया था। इस एकाउंट में न ही आपूर्ति आदेश न ही ट्रक नंबर अंकित था।