रांचीः पुलिस अधिकारी की लापरवाही के कारण अपराधी गेंदा सिंह उर्फ विजय सिंह को सिविल कोर्ट के अपर न्यायायुक्त की अदालत ने प्रतिबंधित हथियार और गोला बारूद रखने से जुड़े 15 साल पुराने एक मामले में बरी कर दिया है। मामले के अनुसंधान पदाधिकारी ने आधे-अधूरे जांच के साथ चार्जशीट दाखिल की थी। जिसमें ने एफएसएल रिपोर्ट, न ही मामले को स्थापित करने के लिए किसी विशेषज्ञ की ही कोई रिपोर्ट थी। जिससे पता चले सकता था कि जब्त किए गए हथियार और गोला-बारूद प्रभावी थे। यहां तक कि मामले के आईओ एवं बरियातू थाना के तत्कालीन थानेदार मदन मोहन सिंह ने भी गवाही नहीं दी। थानेदार ही स्वयं प्राथमिकी दर्ज की थी।
मामले के कई प्रयासों के बावजूद सिर्फ छापेमारी दल में शामिल एक सिपाही गवाही देने पहुंचा, लेकिन उसने भी घटना के बारे में कोर्ट में सही-सही नहीं बता पाया। अदालत ने आरोपी गेंदा सिंह को बरी करते हुए कहा कथित घटना का कोई प्रत्यक्ष विवरण नहीं है। यहां तक कि दर्ज एफआईआर को साबित नहीं की जा सकी। मामले में कोई ठोस सबूत नहीं मिला है जिससे यह साबित हो सके कि आरोपी व्यक्ति के पास अवैध और गैरकानूनी तरीके से प्रतिबंधित हथियार और गोला-बारूद रखने का आरोप है। अभियोजन पक्ष आरोपों को सिद्ध करने में विफल रहा।
बता दें कि बरियातू थाना पुलिस ने 1 अप्रैल 2009 को एक आरोपी के बयान के आधार पर राम कृष्ण आश्रम के सामने शिव भवन में स्थित नकुल प्रसाद के घर पर छापा मारा गया था। जहां तलाशी के दौरान लोडेड सिक्सर जिंदा कारतूस के साथ देशी पिस्तौल बरामद की गई थी। गिरफ्तार आरोपी ने कबूल किया कि जब्त की गई अवैध आग्नेयास्त्र उसके गिरोह धुर्वा निवासी गेंदा सिंह का है। पुलिस के पहुंचने से पहले वह घटनास्थल से भाग गया था। घटना को लेकर बरियातू थाना में कांड संख्या 49/2009 के तहत थाना प्रभारी ने एफआईआर दर्ज की थी। मामले में जनवरी 2012 को चार्जशीट दाखिल की गई थी।