High Court’s strict comment: हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य में कानून का राज चलेगा या सरकरा की सुविधा के मुताबिक काम होगा। बुधवार को झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ ने चान्हो के सिलागाईं में बनने वाले एकलव्य विद्यालय के चयनित स्थल को बदलने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी की। अदालत ने मामले में राज्य और केंद्र सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक कहा कि सिलागाईं में शिलान्यास स्थल पर चारदीवारी को अराजक तत्वों तोड़ दिया, जबकि चारदीवारी का काम 65 फीसदी पूरा हो चुका था। चारदीवारी तोड़े जाने पर आर्थिक क्षति की भरपाई कौन करेगा। यह जनता का पैसा है, इसलिए इसके नुकसान की भरपाई होनी चाहिए। अदालत ने पूछा कि चारदीवारी निर्माण में किसका पैसा लगा है, राज्य या केंद्र सरकार का। इसका हिसाब होना चाहिए, ताकि उसकी वसूली की जा सके। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि जब बरहे में एकलव्य विद्यालय बन सकता है तो फिर सिलागाईं में एकलव्य विद्यालय क्यों नहीं बन सकता था।
तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने सिलागाईं में एकलव्य विद्यालय का शिलान्यास किया था और इसके लिए केंद्र सरकार ने राशि भी स्वीकृत की थी। राज्य सरकार ने इसके लिए जमीन दी थी, फिर सिर्फ अराजक तत्वों के कारण सरकार ने सिलगाई के एकलव्य विद्यालय का स्थान क्यों बदल दिया। इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया कि नौ दिसंबर 2022 को हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए शिलान्यास वाले स्थल पर एकलव्य विद्यालय बनाने का आदेश दिया था।
इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अपील खारिज करते हुए हाई कोर्ट का आदेश बरकरार रखा। इसके बावजूद शिलान्यास वाले स्थल पर विद्यालय का निर्माण नहीं किया जा रहा है। बता दें कि प्रार्थी गोपाल भगत ने एकलव्य विद्यालय के पूर्व चयनित स्थल को बदलने के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की है।