Ranchi violence: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में पिछले साल 10 जून को हुई रांची हिंसा मामले की एनआईए जांच को लेकर दाखिल जनहित याचिका की आंशिक सुनवाई हुई। इस दौरान प्रार्थी की ओर से समय दिए जाने का आग्रह किया गया। इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर निर्धारित की है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने प्रार्थी से पूछा था कि वह कैसे इस केस को एनआईए को ट्रांसफर करने की मांग कर रहे हैं। क्या इसका कोई साक्ष्य है कि यह घटना शेड्यूल ऑफेंस के तहत आती है। वहीं, एनआईए और राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि पूरे प्रकरण में यह मामला शेड्यूल ऑफेंस के दायरे में नहीं आता है।
रांची हिंसा की एनआईए जांच की मांग
बता दें कि रांची हिंसा मामले में दायर पंकज कुमार यादव की जनहित याचिका में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव यास्मीन फारूकी समेत रांची उपायुक्त , एसएसपी, मुख्य सचिव, एनआईए, ईडी को प्रतिवादी बनाया है।
अदालत से मामले की एनआईए जांच कराकर झारखंड संपत्ति विनाश और क्षति निवारण विधेयक 2016 के अनुसार आरोपियों के घर को तोड़ने का आदेश देने का आग्रह किया है। रांची की घटना को प्रायोजित बताते हुए एनआईए से जांच करने और यह पता लगाने का आग्रह किया है कि किस संगठन ने फंडिंग कर घटना को अंजाम दिया।
बता दें कि भाजपा नेता नुपुर शर्मा की ओर से विवादित बयान के बाद रांची हिंसा हुई थी। याचिका में कहा गया है कि जिस तरह से रांची पुलिस पर पत्थर बाजी हुई। वहीं भीड़ ने प्रतिबंधित अस्त्र शस्त्र का प्रयोग करते हुए धार्मिक स्थल पर पत्थरबाजी की थी, इससे प्रतीत होता है कि घटना पूर्व नियोजित थी।
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