रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सहायक जिला खनन पदाधिकारियों (डीएमओ) से उच्च पद पर काम लिए जाने के बाद उस पद के वेतन का लाभ नहीं किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में विभागीय सचिव से जवाब मांगा है। अदालत ने मौखिक रूप से कहा है कि इस तरह के मामले लटकाए रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
इस मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी। इस संबंध में प्रार्थी निशांत अभिषेक व अन्य की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
डीएमओ का कार्य कर रहे प्रार्थी
सुनवाई के दौरान पूर्व महाधिवक्त सह वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अपराजिता भारद्वाज और तान्या सिंह ने अदालत को बताया कि वर्ष 2017 में प्रार्थियों की नियुक्ति सहायक खनन पदाधिकारी के रूप में हुई थी।
कालांतर में इनसे जिला खनन पदाधिकारी (डीएमओ) का कार्य लिया जा रहा है। सरकार ने यह कहते हुए इन्हें उच्च पद की सुविधा और वेतन में बढ़ोतरी का लाभ नहीं दिया गया है कि अभी तक विभागीय परीक्षा आयोजित नहीं की गई है।
सरकार की ओर से दाखिल शपथ पत्र में कहा गया है कि संबंधित नियमावली के सिलेबस में बदलाव किया जाना है। इस कारण विभागीय परीक्षा नहीं ली जा रही है।
प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि चूंकि प्रार्थियों से जिला खनन अधिकारी के उच्च पद का कार्य लिया जा रहा है। इसलिए उन्हें उक्त पद की सुविधा और वेतन का लाभ मिलना चाहिए, जैसा कि झारखंड सेवा में प्रावधान है।
प्रार्थी की दलील सुनने के बाद अदालत ने सरकार के शपथ पत्र पर नाराजगी जताया। अदालत ने इस मामले में खनन विभाग के सचिव से जवाब मांगा है।