Ranchi: Assistant Professor Appointment झारखंड हाईकोर्ट ने सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के मामले में सुनवाई के बाद राज्य की पांच विश्वविद्यालय, सरकार, यूजीसी और जेपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। प्रार्थी अमोस प्रशांत टोपनो व अन्य तीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत उक्त निर्देश दिया है।
अदालत ने कहा कि अगर इस दौरान सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति की जाती है, तो कोर्ट के अंतिम आदेश से नियुक्ति प्रभावित होगी। अगली सुनवाई जनवरी माह में होगी। सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि वर्ष 2018 में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए जेपीएससी ने विज्ञापन जारी किया था।
प्रार्थियों की ओर से भी इस पद के लिए आवेदन दिया था। लेकिन झारखंड लोक सेवा आयोग ने यह कहते हुए प्रार्थियों को अयोग्य करार दिया है कि प्राणिविज्ञान (जूलॉजी) में पीजी की डिग्री व नेट अथवा समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है। इसलिए इनके आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता है।
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अधिवक्ता अजीत कुमार ने कोर्ट को बताया कि नेट में सिर्फ लाइफ साइंस की परीक्षा होती है, जो प्रार्थी के पास है। अदालत को बताया गया कि इस मामले में जेपीएससी का समयृ-समय पर अलग स्टैंड होता है। इस मामले में हाई कोर्ट के खंडपीठ के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि चूंकि वादी ने लाइफ साइंस में नेट पास किया है, ऐसे में उसे उक्त नियुक्ति से बाहर किया जाना उचित नहीं है।
जेपीएससी को ऐसा अधिकार नहीं है कि वह इसका निर्णय ले सके कि नियुक्ति के लिए कौन सा विषय उचित होगा। इसका अधिकार यूजीसी या फिर संबंधित विश्वविद्यालय को ही है, जहां पर नियुक्ति हो रही है। इसके बाद अदालत ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।