Kolkatta: कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य ने सुनवाई के दौरान बार-बार नेट कनेक्टिविटी में समस्या आने पर सख्त टिप्पणी की है। जस्टिस ने कहा कि सुनवाई को मजाक बना दिया गया है। यह जनता को दिखाने के लिए एक सर्कस मात्र बन गया है। जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य ने आखिरकार कनेक्टिविटी के प्रभारी अधिकारी को फोन किया और उन्हें बार-बार लिंक विफलताओं को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। सुनवाई लगभग 11.10 बजे शुरू हुई और ऑनलाइन कार्यवाही लगभग 15 बार बाधित हुई।
जस्टिस भट्टाचार्य ने कहा, ‘जब तक मुद्दों का पूरी तरह से समाधान नहीं हो जाता, मैं खाली स्टेज शो आयोजित करने के लिए अदालत में नहीं बैठूंगा। आदेश की एक प्रति कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और अदालत के रजिस्ट्रार-जनरल को भेजी जाए।’ जस्टिस ने कहा, ‘यह अदालत तब तक बैठने में असमर्थ है जब तक कि कनेक्टिविटी के मुद्दे पूरी तरह से हल नहीं हो जाते। मैं स्पष्ट रूप से इस तरह के सर्कस का हिस्सा बनने से इनकार करता हूं क्योंकि मैंने वादियों को न्याय दिलाने की शपथ ली है, जो अदालत के बाहर खड़े हैं। न्यायाधीशों के लिए एसी कमरे हैं। वादी बाहर धूप और धूल में मेहनत कर रहे हैं।’
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जस्टिस भट्टाचार्य ने अपने आदेश में कहा, ‘वर्चुअल सुनवाई सुविधाओं के बारे में लंबी-चौड़ी बातों के बावजूद, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह अदालत उचित रूप से न्याय सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम वर्चुअल सेवाएं और कनेक्टिविटी प्रदान करने में असमर्थ है।’ जस्टिस भट्टाचार्य ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से दोषी महसूस करते हैं क्योंकि अदालतों के कामकाज में व्यवधान और हस्तक्षेप, चाहे वह किसी भी रूप में हो, आपराधिक अवमानना हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘यह एक नियमित विशेषता बन गई है और मुझे शर्म आती है कि हमारे सम्मानित चार्टर्ड हाई कोर्ट, जिसका एक शानदार इतिहास है, को इस तरह से महत्वहीन किया जा रहा है कि हम केवल कनेक्टिविटी मुद्दों के कारण वादियों को न्याय नहीं दे सकते हैं। वकीलों और वादियों दोनों का कहना है कि कनेक्टिविटी के मुद्दे और ऑडियो और विजुअल सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप एक नियमित विशेषता बन गई है।