झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की पीठ ने राज्य में रेंज अफसर और सहायक वन संरक्षक के पदों पर वानिकी(फॉरेस्ट्री) में स्नातक करने वालों को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का आदेश दिया है। पीठ ने कहा है कि राज्य सरकार ने इसको लेकर नीतिगत निर्णय भी लिया है। ऐसे में आगामी नियुक्तियों में वानिकी में स्नातक करने वाले अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। इसको लेकर आलोक आनंद सहित 20 अन्य की ओर से हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की गई है। सभी बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाई करनेवाले विद्यार्थी हैं। सुनवाई के दौरान कहा गया कि राज्य में रेंज अफसर और सहायक वन संरक्षक के पद पर किसी विषय में स्नातक करने वाले की नियुक्ति की जाती है।
जबकि देश के 15 प्रदेशों में वानिकी से स्नातक करने वाले अभ्यर्थियों को सीधी भर्ती में 50 प्रतिशत या उससे अधिक आरक्षण मिलता है। राज्य सरकार ने इस मामले में नीतिगत निर्णय भी लिया है, लेकिन 20 सालों से इसे अमल में नहीं लाया गया है। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से वरीय अधिवक्ता ए अल्लाम ने पक्ष रखा। कहा गया कि इस मामले में विश्वविद्यालय के कुलपति की ओर से राज्यपाल सहित सभी सक्षम प्राधिकार के यहां इस मुद्दे उठाया गया था। कहा गया कि उक्त पदों पर नियुक्ति के समय वानिकी में स्नातक करने वालों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। इसके बाद पीठ ने सरकार को आगामी नियुक्ति में वानिकी स्नातकों को 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने पर विचार करने का निर्देश दिया है। याचिका में राज्य सरकार, मुख्य सचिव, विभाग के सचिव, बिरसा कृषि विवि के कुलपति समेत छह को प्रतिवादी बनाया गया है।
40 वर्षों की लड़ाई बाद मिला हक:
वानिकी स्नातक की सीधी नियुक्ति रेंज अफसर और सहायक वन संरक्षक को लेकर 1984 से ही आंदोलन किया जा रहा था। 2001 में आंदोलनरत विद्यार्थियों ने शरीर में केरोसिन डालकर आग लगा ली थी। जिसमें कई छात्रों को जेल भेज दिया गया था। पहली बार पटना में 1994 में आंदोलन उग्र रूप ले लिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह वानिकी स्नातक के विद्यार्थियों की बड़ी जीत है।