सुप्रीम कोर्ट को यूपी सरकार की सलाहः उम्रकैद के सजायाफ्ता को 10 साल बाद दी जा सकती है जमानत

New Delhi: हाईकोर्ट में लंबित जमानत मामलों को लेकर यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को अहम सुझाव दिया। राज्य सरकार ने अपनी राय में कहा है कि उम्रकैद के मामलों में जिन बंदियों ने 10 साल की सजा काट ली है, उन्हें और अन्य मामलों में जिन्होंने आधी सजा पूरी कर ली है, उन्हें जमानत पर रिहा किया जा सकता है। 

इसके साथ ही यूपी सरकार ने अपने सुझाव के साथ ही कैविएट भी दायर की है। राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने व उसकी भलाई के लिए उम्रकैद के उन बंदियों, जो कि हार्डकोर अपराधी है, बार बार अपराध करते हैं, तीन से ज्यादा हत्याकांड कर चुके हैं, अपहरण के आरोपी हैं, आदतन अपराधी है या जमानत की प्रतिबंधित श्रेणियों में आते हैं, उन्हें यूपी जेल नीति के अनुसार जमानत नहीं दी जाना चाहिए। 

राज्य सरकार व हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने अपने सुझाव शीर्ष कोर्ट के आदेश पर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व आदेश में कहा था कि वे लंबे समय से हाईकोर्ट में जमानत की लंबी अपीलों का वहीं निपटारा करने के लिए व्यापक मानदंड बनाने में मदद करें। 

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एक अन्य अहम सुझाव में राज्य सरकार ने कहा है कि आपराधिक अपीलों के लंबित रहने को भी हाईकोर्ट द्वारा जमानत देने को भी एक प्रासंगिक मानदंड माना जाना चाहिए।इसी तरह जो महिला दोषी, बिना किसी छूट के 14 साल से जेल में हैं और पुरुष बंदी, जो बिना छूट के 16 वर्षों से बंद हैं, उनके मामलों में भी सजा पूरी होने के पूर्व रिहाई के लिए विचार किया जा सकता है। 

यूपी सरकार ने अपने 102 पेजों का दस्तावजे जस्टिस एसके कौल व जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ के समक्ष दाखिल किया है। इस पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आपराधिक जमानत के मामलों के जल्दी निपटान के लिए कदम उठाने की बात कही है। हाईकोर्ट में जजों की तय संख्या 160 है, जबकि अभी 93 जज ही पदस्थ हैं। 

अगस्त 2021 में लखनउ पीठ व इलाहाबाद हाईकोर्ट में करीब 1,83,000 आपराधिक अपीलें लंबित हैं। पूरे यूपी की जेलों में 7214 कैदी ऐसे हैं जो कि 10 साल से ज्यादा की सजा काट चुके हैं और उनकी जमानत अपीलें हाईकोर्ट में लंबित हैं। 

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