फीस नहीं मिलने से निजी स्कूलों की हालत खराब, अदालत ने सरकार से मांगा जवाब

रांची। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सरकार के उस आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राज्य के निजी स्कूलों में सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का आदेश दिया गया है। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि यदि सरकार अपने आदेश में किसी प्रकार का संशोधन या स्पष्टीकरण चाहती है तो अगली सुनवाई तक कर सकती है।

इसको लेकर झारखंड अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि झारखंड सरकार ने 26 जून 2020 को एक आदेश जारी किया है। इसमें निजी स्कूलो को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने की बात कही गई है। फीस नहीं देने वाले किसी भी छात्र को स्कूल से नहीं निकालने और ऑनलाइन क्लास में शामिल करने से मना नहीं करने की भी बात कही गई है। सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि सरकार का यह आदेश विरोधाभाषी है।

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एक तरफ सरकार सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेने की बात कह रही है और दूसरी ओर किसी छात्र के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर भी रोक लगाई गई है। इसकी वजह से कई अभिभावक स्कूलों की फीस जमा नहीं कर रहे हैं। इसके चलते शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन और अन्य खर्चों का बोझ स्कूल पर आ गया है और उनकी आर्थिक स्थिति बदतर हो गई है। अदालत को बताया गया कि कोरोना संकट को देखते हुए अन्य राज्यों में भी सरकार ने उक्त आदेश दिया था।

लेकिन कई हाई कोर्ट ने सरकार के आदेश हस्तक्षेप किया है। फीस जमा नहीं होने से बस मेंटनेंस, बैंक ऋण और कर्मचारियों के वेतन देने में स्कूलों को परेशानी हो रही है। सरकार की ओर से कहा गया कि आरटीई एक्ट के अनुसार सभी बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। इसलिए सरकार ने ऐसा आदेश जारी किया है। इस पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

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