केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- नियुक्तियों के खिलाफ याचिकाएं दाखिल करना समानांतर प्रशासन चलाने की प्रवृत्ति  

New Delhi: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में संजय कुमार मिश्रा के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के रूप में 2018 के नियुक्ति आदेश में पूर्वव्यापी परिवर्तन पर निर्णय का बचाव किया और कहा कि नियुक्तियों के मामले में विभिन्न संगठनों द्वारा याचिका दायर करना समानांतर प्रशासन चलाने की प्रवृत्ति है।

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ को बताया कि सीवीसी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने बैठक की और उनके कार्यकाल पर गौर भी किया।

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सॉलिसिटर जनरल ने इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ की भूमिका पर सवाल उठाया। उन्होंने तर्क दिया, इस तरह की जनहित याचिका दायर किए जाने में निहित स्वार्थों की संभावना से इनकार नहीं कर सकते। न्यायालय के मंच का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता।

ये संगठन पेशेवर जनहित याचिका दाखिल करने वाले संगठनों के रूप में काम कर रहे हैं। यह उसी संगठन द्वारा दायर की गई तीसरी याचिका है। एनजीओ की तरफ के पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि बिना कार्यकाल बढ़ाए मिश्रा को 60 साल की उम्र के बाद नियुक्त किया गया।

उन्होंने कहा कि विस्तार के बावजूद कार्यकाल की पूरी अवधि में दो साल नहीं बढ़ा। इस तरह से सेवा क्षेत्र में कोहराम मच जाएगा।

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