नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के पास किसी कानून की वैधता का परीक्षण करने या उसे रद करने का अधिकार नहीं है। जैव विविधता अधिनियम की धारा 40 को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि तब तक के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण, चेन्नई के पास लंबित मामले की सुनवाई पर अंतरिम रोक रहेगी।
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यह अपील पर्यावरण सहायता समूह ने दायर की थी। इसमें उसने जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 40 को चुनौती दी थी। पहले यह याचिका कर्नाटक हाई कोर्ट में दायर की गई थी, जिसे बाद में एनजीटी के पास स्थानांतरित कर दिया गया। पर्यावरण समूह ने यह कहते हुए एनजीटी के पास याचिका स्थानांतरित करने को चुनौती दी कि उसे कानून की वैधता पर विचार करने का अधिकार नहीं है।