सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाथरथ मामले की सीबीआई जांच की निगरानी करेगा इलाहाबाद हाईकोर्ट

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले की एक दलित लड़की के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और फिर उसकी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो करेगा और इलाहाबाद हाईकोर्ट इसकी निगरानी करेगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पीड़ित परिवार के सदस्यों और गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने और इसकी सीबीआई जांच की निगरानी सहित सभी पहलुओं पर विचार करेगा।

अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश से बाहर कराने के मुद्दे पर सीबीआई की जांच पूरी होने के बाद ही विचार किया जायेगा। अदालत ने हाथरस की घटना को लेकर गैर सरकारी संगठन, अधिवक्ताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा दाखिल कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया। इन याचिकाओं में दावा किया गया था कि उप्र में इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है क्योंकि जांच को पहले ही कुंद कर दिया गया है। अदालत ने कहा कि सीबीआई अपनी जांच की प्रगति रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल करेगी।

अदालत ने उप्र सरकार के अनुरोध पर विचार किया और हाईकोर्ट से कहा कि वह लंबित जनहित याचिका में दिए गए अपने आदेशों में से एक से पीड़ित का नाम हटाए।
हाथरस के एक गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित लड़की से चार लड़कों ने कथित रूप से बलात्कार किया था। इस लड़की की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी थी। पीड़ित की 30 सितंबर को रात के अंधेरे में उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गयी थी। उसके परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जल्द से जल्द उसका अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया। वहीं, पुलिस अधिकारियों का कहना था कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया।

अदालत ने 15 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि इस मामले की निगरानी इलाहाबाद हाईकोर्ट को करने को दी जाएगी। हालांकि पीड़ित परिवार के वकील ने आशंका व्यक्त करते हुए न्यायालय से कहा था कि इस मामले की जांच पूरी होने के बाद ही इसे उप्र से बाहर स्थानांतरित किया जाए। पीठ ने इस आशंका को दूर करते हुये कहा कि हाईकोर्ट को ही इसे देखने दिया जाए। अगर कोई समस्या होगी तो हम यहां पर हैं ही। सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी उप्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे का जिक्र किया था जिसमे पीड़ित के परिवार और गवाहों को प्रदान की गयी सुरक्षा और संरक्षण का विवरण दिया गया था। राज्य सरकार ने कोर्ट के निर्देश पर ऐसा किया था।

इससे पहले ही उत्तर प्रदेश ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी और उसने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच पर भी सहमति दे दी थी। मेहता ने न्यायालय को सूचित किया था कि पीड़ित के परिवार ने एक अधिवक्ता की सेवायें ली हैं और उसने उनकी ओर से इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी वकील उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया है।

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