रामजन्म भूमि से मिली कलाकृति को संरक्षित करने की मांग वाली याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने एक-एक लाख का लगाया जुर्माना

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल पर खुदाई के दौरान मिली कलाकृतियों को संरक्षित करने की मांग लेकर दाखिल दो जनहित याचिकाएं खारिज कर दीं और याचिकाकर्ताओं पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने दोनों जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य नहीं पाया। इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर एक-एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाते हुये उन्हें एक महीने के भीतर यह राशि जमा करने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा कि पांच सदस्यीय पीठ इस मामले में अपना फैसला सुना चुकी है और यह इन जनहित याचिकाओं के माध्यम से इस निर्णय से आगे निकलने का प्रयास है।

याचिकाकर्ताओं की ओर पेश वकील ने कहा कि राम जन्मभूमि न्यास ने भी स्वीकार किया है कि इस क्षेत्र में ऐसी अनेक कलाकृतियां हैं जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है।

पीठ ने याचिकाकर्ताओं से जानना चाहा कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद32 के अंतर्गत शीर्ष अदालत में याचिका क्यों दाखिल की।

पीठ ने कहा कि आपको इस तरह की तुच्छ याचिका दायर करना बंद करना चाहिए। इस तरह की याचिका से आपका तात्पर्य क्या है? क्या आप यह कहना चाहते हैं कि कानून का शासन नहीं है और इस न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ के फैसले का कोई पालन नहीं करेगा।

केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि न्यायालय को याचिकाकर्ता पर अर्थदंड लगाने के बारे में विचार करना चाहिए।

पीठ ने कहा कि प्रत्येक याचिकाकर्ता पर एक-एक लाख रूपए का अर्थदड लगाया जाता है जिसका भुगतान एक महीने के भीतर किया जाना चाहिए।

ये याचिकायें सतीश चिंदूजी शंभार्कर और डा आम्बेडकर फाउंडेशन ने दायर की थीं। इनमें इलाहाबाद उच्च न्यायालाय में सुनवाई के दौरान अदालत की निगरानी में हुयी खुदाई के समय मिली कलाकृतियों को संरक्षित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

इन याचिकाओं में नये राम मंदिर के लिये नींव की खुदाई के दौरान मिलने वाली कलाकृतियों को भी संरक्षित करने तथा यह काम पुरातत्व सर्वेक्षण की निगरानी में कराने का अनुरोध किया गया था।

गौरतलब है कि सुप्रीम ने पिछले साल नौ नवंबर को अपने ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या में राम जन्म भूमि स्थल पर राम मंदिर निर्माण के लिये एक न्यास गठित करने का निर्णय दिया था। न्यायालय ने इसके साथ ही मस्जिद के लिये पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का निर्देश भी सरकार को दिया था।

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