सुप्रीम कोर्ट ने ग्रैच्युटी को लेकर सुनाया अहम फैसला, जानिए पूरा मामला

नई दिल्लीः (Supreme Court) सुप्रीम कोर्ट ने ग्रैच्युटी (Gratuity) पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा अगर किसी कर्मचारी का नौकरी के दौरान या फिर रिटायरमेंट के बाद किसी तरह का बकाया है तो फिर उसकी ग्रैच्युटी का पैसा रोका अथवा जब्त किया जा सकता है।

जस्टिस संजय के. कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी भी कर्मचारी की ग्रैच्युटी से दंडात्मक किराया- सरकारी आवास में रिटायरमेंट के बाद रहने के लिए जुर्माना सहित किराया वसूलने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है।

यह मामला झारखंड से जुड़े हैं। जहां स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने एक कर्मचारी से 1.95 लाख रुपये की जुर्माना राशि वसूल करने का प्रयास किया था जिसने अपना बकाया और ओवरस्‍टे क्लियर नहीं किया था।

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उक्त कर्मचारी 2016 में सेवानिवृत्ति के बाद बोकारो में आधिकारिक आवास में रहा। झारखंड हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 2017 के आदेश के तहत सेल को कर्मचारी की ग्रेच्युटी तुरंत जारी कराने का आदेश दिया। हालांकि कोर्ट ने सेल को सामान्य किराए की मांग को बढ़ाने की अनुमति दी।

सुप्रीम कोर्ट के 2005 के फैसले का भी हवाला दिया जब उसने नियोक्ता द्वारा उसे प्रदान किए गए आवास के अनधिकृत कब्जे के लिए एक कर्मचारी से दंडात्मक किराया की वसूली को बरकरार रखा था। इस फैसले में, हालांकि अदालत ने स्वीकार किया कि ग्रैच्युटी जैसे पेंशन लाभ एक ईनाम नहीं है। यह माना गया था कि बकाया की वसूली संबंधित कर्मचारी की सहमति के बिना ग्रैच्‍युटी से की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने अब हाईकोर्ट के आदेश का एक हिस्सा तय किया है जो कहता है कि सेल ग्रैच्‍युटी राशि से बकाया की वसूली नहीं कर सकता है। हालांकि, इसने आदेश के मौद्रिक पहलू के साथ हस्तक्षेप नहीं किया। यह देखते हुए कि एक छोटी राशि शामिल है और हाल ही के वर्षों में सेल की आवासीय योजना में भी बदलाव आया है।

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