सुप्रीम कोर्ट में फिजिकल सुनवाई के लिए एसओपी जारी, हाईकोर्ट में जल्द होगी हाईब्रिड सुनवाई

New Delhi: कोरोना काल से बंद अदालतों में अब फिजिकल सुनवाई शुरू होने जा रही है। हालांकि कई राज्यों की निचली अदालतों में फिजिकल सुनवाई प्रारंभ कर दी गई है। अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक सितंबर से मामलों की अंतिम सुनवाई प्रत्यक्ष रूप (Physical Mod) से करने के लिए नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी कर दी है। साथ ही, कोरोना मानदंडों को पालन करने के मद्देनजर मंगलवार से गुरुवार तक मिश्रित (हाइब्रिड) विकल्प इस्तेमाल किया जाएगा। 

यह मानक प्रक्रियाएं प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण के निर्देश पर जारी की गई है। उन्होंने बार निकायों की मांग और अनुरोध पर विचार करने के लिए गठित न्यायाधीशों की समिति की सिफारिशों पर ध्यान करने के बाद यह फैसला लिया है। कोरोना के कारण बीते साल मार्च से शीर्ष कोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मामलों की सुनवाई कर रहा है। लेकिन पिछले कुछ समय से कई बार निकाय और वकील फिर से प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने की मांग कर रहे थे।

महासचिव की ओर से जारी मानक प्रक्रिया में स्पष्ट किया गया है कि अदालतें सोमवार और शुक्रवार को विविध मामलों की ऑनलाइन सुनवाई करती रहेंगी। एसओपी के मुताबिक न्यायालय परिसर में कोरोना नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। अगर वादी और वकील प्रत्यक्ष सुनवाई का विकल्प चुन लेते हैं तो फिर उन्हें वीडियो या टेली कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई की सुविधा नहीं मिलेगी। 

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एसओपी में कहा गया है, धीरे-धीरे दोबारा फिजिकल सुनवाई शुरू करने के मद्देनजर गैर-विविध दिनों में सूचीबद्ध अंतिम सुनवाई/नियमित मामलों को प्रत्यक्ष रूप (हाइब्रिड विकल्प के साथ) से सुना जा सकता है, जिसे संबंधित पीठ तय कर सकती है। वहीं, विविध दिनों में सूचीबद्ध मामलों समेत दूसरे सभी मामलों की सुनवाई वीडियो/टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जारी रहेगी। 

प्रत्यक्ष माध्यम अपना रही पीठ सुनवाई के दौरान करीब 15 मिनट का विराम ले सकती है ताकि इस दौरान अदालत कक्ष को सैनिटाइज किया जा सके। एसओपी में कहा गया है, अगर पक्षकारों के वकीलों की संख्या 20 से अधिक है तो कोविड मानकों के अनुसार पीठ किसी भी समय ऑनलाइन सुनवाई का सहारा ले सकती है। 

वकीलों को सुप्रीम कोर्ट के पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा और सुनवाई के लिए मामले के सूचीबद्ध होने के 24 घंटों के भीतर पीठ के समक्ष पेश होने के लिए अपनी प्राथमिकताएं दर्ज करानी होंगी। इसमें कहा गया है कि किसी मामले में पक्षकारों को सुनवाई शुरू होने से दस मिनट से पहले प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

प्रत्यक्ष सुनवाई के लिए आने वाले वकीलों/पक्षों का हाई सिक्योरिटी जोन (एचएसजेड) में प्रवेश रजिस्ट्री द्वारा जारी दैनिक विशेष सुनवाई पास से ही होगा। मामले के पक्षकारों को प्रत्यक्ष सुनवाई से दस मिनट पहले ही प्रवेश दिया जाएगा।

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