Retired Benefits: झारखंड हाईकोर्ट की टिप्पणी, अधिकारियों के रवैए से लाभुक भिखारी का जीवन यापन करने को मजबूर

Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने सेवानिवृत्ति लाभ (Retired Benefits) नहीं देने के एक मामले में राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार के अधिकारियों के रैवए के चलते लाभुक भिखारी का जीवनयापन करने को मजबूर है। अदालत ने राज्य सरकार को 24 जुलाई तक दोनों लाभुकों को पांच-पांच लाख रुपये भुगतान करने का आदेश दिया है।

उक्त आदेश हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने दिया है। अदालत ने कहा कि अगर कोर्ट की ओर से निर्धारित तिथि तक लाभुकों को राशि का भुगतान नहीं किया जाता है, तो इसे कोर्ट के आदेश की अवहेलना मानी जाएगी। ऐसा करने वालों के खिलाफ कोर्ट कार्रवाई करेगी। अदालत ने कहा कि दोनों लाभुकों को उक्त राशि किसी भी मद से दी जाए, जिसे बाद में सेवानिवृत्ति लाभ में समायोजित कर लिया जाएगा।

सुनवाई के दौरान वादियों के अधिवक्ता प्रेम पुजारी राय ने अदालत को बताया कि वादी कालो देवी और जितेश्वरी देवी को पांच साल से सेवानिवृत्ति लाभ और पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है। रोजाना खर्च के लिए दोनों मजदूरी करने मजबूर है। इसके अलावा अपने परिवार के पालन के लिए दूसरों पर आश्रित है।

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इस दौरान राज्य सरकार की ओर से समय की मांग की गई, तो अदालत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि सेवानिवृत्ति लाभ के मामले में सरकार को कोई समय नहीं दिया जाएगा। अक्सर देखा जाता है कि इस तरह मामले में सरकार और विश्वविद्यालय एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल देते हैं। इसके चलते लाभुक को परेशानी होती है।

सुनवाई के बाद अदालत ने 24 जुलाई तक कालो देवी और जितेश्वरी देवी के खाते में पांच-पांच लाख रुपये भेजने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। अदालत ने कहा कि इसके लिए मद में पैसे नहीं होने का बहाना नहीं चलेगा। किसी भी मद से उन्हें पैसे का भुगतान किया जाए। बाद में उक्त राशि को पेंशन और सेवानिवृत्त लाभ से समायोजित कर लिया जाएगा।

जाने क्या है पूरा मामला

कालो देवी और जितेश्वरी देवी दोनों के पति मांडर कॉलेज में चपरासी के पद पर कार्यरत थे। सेवा में रहने के दौरान ही वर्ष 2016 में कालो देवी के पति का निधन हो गया। तब से उसे सेवानिवृत्ति का लाभ नहीं मिला। वहीं, जितेश्वरी देवी के पति वर्ष 2016 में सेवानिवृत्ति हो गए। लेकिन वर्ष 2019 उनकी मौत के बाद पेंशन बंद हो गई। इसके बाद दोनों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर लाभ दिलाने की मांग की गई थी।

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