Regularization: हाईकोर्ट ने कहा- संविदा पर काम करने वालों को नियमित करने पर निर्णय लें सरकार

Ranchi: Regularization झारखंड हाईकोर्ट ने संविदा पर काम करने वाले सांख्यिकी सहायक, महिला पर्ववेक्षिका व लिपिकों को नियमित करने करने का निर्देश दिया है। अदालत ने प्रर्थियों को समाज कल्याण विभाग के सचिव के यहां प्रतिवेदन देने को कहा है। जिस पर सचिव छह सप्ताह में निर्णय लेना होगा।

प्रार्थी मधु सिंह सहित अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने उक्त निर्देश दिया है। अदालत ने याचिका को निष्पादित कर दी है। इस याचिका में सभी को नियमित करने की मांग की गई है।

सुनवाई के दौरान इनके अधिवक्ता राधाकृष्ण गुप्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि गिरिडीह व बोकारो में समाज कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं में वर्ष 2008 में सांख्यिकी सहायक, महिला पर्ववेक्षिका एवं लिपिक पद वादियों की नियुक्ति हुई थी। लेकिन अभी तक उन्हें नियमित नहीं किया गया है।

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इस तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि दस वर्ष से अधिक समय से संविदा पर काम करने वाले लोगों को राज्य सरकार नियमित करे। वर्ष 2015 में बनाई गई संविदा पर काम करने वालों को नियमितिकरण अधिनियम के तहत नियमित का लाभ मिलना चाहिए। अदालत ने समाज कल्याण विभाग के सचिव के यहां प्रार्थियों को प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया है।

हत्या के मामले में साक्ष्य के अभाव में बरी
अपर न्यायायुक्त एके पांडेय की अदालत ने हत्या से जुड़े एक मामले में भाक्कु कुम्हार को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। घटना के कुछ दिनों बाद से वह जेल में है। इसके खिलाफ कांके निवासी राजू कुमार की हत्या मामले में 20 अप्रैल 2017 को कांके थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। स्थानीय पुलिस ने हत्या के मामले में भाक्कु कुम्हार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से अदालत में भाक्कु का पक्ष रखने के लिए वकील उपलब्ध कराया था।

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