Promotion: इंस्पेक्टर से डीएसपी में प्रोन्नति पर बोली सरकार- पहले गलत लोगों को मिल गई प्रोन्नति, अब आरक्षण नीति ला रही सरकार

Ranchi: Promotion झारखंड हाईकोर्ट ने इंस्पेक्टर से डीएसपी पद प्रोन्नति के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत में सभी पक्षों की ओर से बहस की गई। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

इसको लेकर अशोक कुमार सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता राजेंद्र कृष्णा ने अदालत को बताया कि जून 2020 में इंस्पेक्टर से डीएसपी पद पर प्रोन्नति की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके लिए गृह विभाग ने डीजीपी से सभी संबंधित इंस्पेक्टर की रिपोर्ट मांगी थी।

चालीस पदों पर होने वाली प्रोन्नति के लिए नवंबर 2020 में उक्त रिपोर्ट गृह विभाग को भेज दी गई। इस बीच सरकार ने 24 दिसंबर 2020 को राज्य में होने वाली सभी प्रोन्नति पर रोक लगा दी। जिसके बाद इनकी प्रोन्नति की प्रक्रिया रूक गई। ऐसा करना गलत है।

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इस तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी की प्रोन्नति पर विचार किया जाना उसका मौलिक अधिकार है। जिससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता है। सरकार को अंतिम आदेश पारित कर लोगों को प्रोन्नति देनी चाहिए था या रिजेक्ट करना चाहिए था।

लेकिन सरकार ने सारी प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई, जो कि गलत है। कई ऐसे इंस्पेक्टर हैं, जो प्रोन्नति की प्रतीक्षा में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि पूर्व में कई लोगों को गलत प्रोन्नति दी गई है। इसलिए सरकार प्रोन्नति में आरक्षण के लिए नीति बना रही है।

महाधिवक्ता ने कहा कि हाल में जिन्हें प्रोन्नति दी जा रही है, उसके मामले में डीपीसी हो चुकी है। जबकि इस मामले में ऐसा नहीं है। उक्त मामले में मुख्य सचिव को कोर्ट में हाजिर होना था, लेकिन उनकी ओर से इसके लिए अदालत से छूट मांग ली गई।

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