Principal appointment: प्राचार्य नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Ranchi: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत में प्लस टू स्कूलों में प्रभारी प्राचार्य (Principal appointment) बनाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की गई। इस पर अदालत ने सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए 16 दिसंबर की तिथि निर्धारित की है।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने मुख्य सचिव से जवाब मांगा था। इस दौरान कोर्ट ने प्लस टू स्कूलों में नए प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। अगली सुनवाई तक नियुक्ति पर रोक बरकरार रहेगी। इसको लेकर अनिता कुमारी व 15 अन्य की ओर से सरकार के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मनोज टंडन ने अदालत को बताया कि हाई स्कूल में एक नियमावली के तहत प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति की गई थी।

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लेकिन राज्य सरकार ने हाई स्कूल को अपग्रेड कर प्लस टू स्कूल बना दिया। अपग्रेड होने के बाद सरकार ने प्लस टू के शिक्षकों को ही उस स्कूल का प्रभारी प्राचार्य बनाने का निर्णय लिया और एक आदेश जारी किया गया, जो कि गलत है। अदालत को बताया गया कि जब नियमावली के तहत हाई स्कूल के शिक्षक को प्रभारी प्राचार्य बनाया गया था, तो उक्त नियमावली को किसी सरकारी आदेश से नहीं बदला जा सकता है। ऐसा करना असंवैधानिक है।

दो बच्चियों से दुष्कर्म के आरोपी को बीस साल की सजा
रांची पोक्सो के विशेष न्यायाधीश आसिफ इकबाल की अदालत ने पड़ोस की दो बच्चियों के साथ एक ही दिन में दुष्कर्म करने के अभियुक्त एतवा उरांव को 20 साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर उसे अतिरिक्त एक साल जेल काटनी होगी। पोक्सो कोर्ट ने साठ वर्षीय एतवा उरांव को 27 नवंबर को दोषी करार दिया था। अभियुक्त पर पड़ोस की दो बच्चियों के साथ अपने घर ले जाकर दुष्कर्म करने का आरोप था।

इस घटना को लेकर आठ सितंबर 2017 को डोरंडा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। एपीपी देवेंद्र कुमार द्विवेदी ने बताया कि अभियुक्त के पड़ोसी की दो बच्चियां घर के बाहर खेल रही थी। दोनों की उम्र 10 एवं 12 साल थी। अभियुक्त दोनों को लालच देकर अपने घर ले गया और बारी-बारी से दुष्कर्म किया। मेडिकल जांच में दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी। मामले में आठ गवाहों को प्रस्तुत किया गया था। 23 मार्च 2021 को गवाही बंद होने के बाद कोविड-19 के चलते सुनवाई प्रभावित रही। जिसके कारण सात महीने बाद फैसला आया।

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