Police appointment: चार हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने दाखिल की हस्तक्षेप याचिका, 29 नवंबर को होगी सुनवाई

Ranchi: Police appointment झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण व जस्टिस अंबुज नाथ की अदालत में सिपाही नियुक्ति नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में कोर्ट के पूर्व आदेश के तहत सभी चयनित अभ्यर्थियों को नोटिस जारी कर दिया गया है।

इस पर अदालत ने कहा कि इस मामले में सारी प्लडिंग कंपलीट कर ली जाए और उसके बाद सुनवाई होगी। इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को सुवनाई निर्धारित की है। इस मामले में करीब सात हजार आरक्षियों की नियुक्ति हुई थी।

सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व अपराजिता भारद्वाज की ओर से अदालत को बताया गया कि उनकी ओर से चयनित 4190 अभ्यर्थियों की ओर से वकालतनामा दाखिल कर दिया गया है। वर्ष 2017 के मामले में उनकी ओर से पहली बार पक्ष रखा जा रहा है।

इसलिए उन्हें प्रार्थी की ओर से दाखिल याचिका और अभी तक के जवाब की एक प्रति उन्हें उपलब्ध कराई जाए। इस पर अदालत ने प्रार्थी को सभी दस्तावेज प्रतिवादी के अधिवक्ता को दिए जाने का आदेश दिया। दरअसल, पूर्व में अदालत ने सभी नौकरी करने वाले पुलिसकर्मियों को मामले में पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी करने का आदेश दिया था।

इसे भी पढ़ेंः SDO promotion: हाईकोर्ट ने पूछा- अनुशंसा के बाद क्यों नहीं जारी हुई अधिसूचना, सरकार आज देगी जवाब

अदालत ने कहा कि इस बीच बचे चयनित अभ्यर्थी भी अपने अधिवक्ता के माध्यम से पक्ष रख सकते हैं। इस दौरान पुलिस मेंस एसोसिएशन की ओर से दाखिल हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई करने की मांग की गई तो अदालत ने कहा कि 29 नवंबर को ही हस्तक्षेप याचिका पर भी सुनवाई होगी।

सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि सरकार की ओर से बनाई गई नई नियुक्ति नियमावली सही है और इस नियमावली के तहत चयनित सभी की नियुक्ति वैध है। सरकार को ऐसा करने का अधिकार भी है।

बता दें कि इस संबंध में सुनील टुडू सहित 55 याचिकाएं अदालत में दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सिपाही नियुक्ति नियमवली-2014 पुलिस मैनुअल के प्रविधानों के विपरीत है। नई नियमावली में लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त भी गलत है।

इसलिए नई नियमावली को निरस्त कर देना चाहिए। इस मामले में जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह का कहना है कि नई नियमावली के अनुसार ही वर्ष 2015 में सभी जिलों में सिपाही और जैप के जवानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था। नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2018 में पूरी कर ली गई है।

Rate this post
Share it:

Leave a Comment