OBC Census: नहीं होगी जातिगत गिनती, ऐसा करना प्रशासनिक रूप से मुश्किल; सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने दी जानकारी

New Delhi: OBC Census ओबीसी जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई जातिगत जनगणना नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना ‘सतर्क नीति निर्णय’ है।

ओबीसी जनगणना को लेकर केंद्र का रूख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल में बिहार से दस दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे के मुताबिक, सरकार ने कहा है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी), 2011 में काफी गलतियां एवं अशुद्धियां हैं। महाराष्ट्र की एक याचिका के जवाब में उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर किया गया।

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महाराष्ट्र सरकार ने याचिका दायर कर केंद्र एवं अन्य संबंधित प्राधिकरणों से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित एसईसीसी 2011 के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग की और कहा कि बार-बार आग्रह के बावजूद उसे यह उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र ने पिछले वर्ष जनवरी में एक अधिसूचना जारी कर जनगणना 2021 के लिए जुटाई जाने वाली सूचनाओं का ब्यौरा तय किया था। इसमें अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति से जुड़े सूचनाओं सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया

लेकिन इसमें जाति के किसी अन्य श्रेणी का जिक्र नहीं किया गया है। सरकार ने कहा कि एसईसीसी 2011 सर्वेक्षण ‘ओबीसी सर्वेक्षण’ नहीं है जैसा कि आरोप लगाया जाता है, बल्कि यह देश में सभी घरों में जातीय स्थिति का पता लगाने की व्यापक प्रक्रिया थी।

यह मामला जस्टिस ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, जिसने इस पर सुनवाई की अगली तारीख 26 अक्टूबर तय की।

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