लालू के जेल मैन्युअल उल्लंघन मामला: हाईकोर्ट ने पूछा, किसके आदेश पर रिम्स निदेशक बंगले शिफ्ट हुए थे लालू

रांची : झारखंड हाईकोर्ट में लालू प्रसाद यादव से जुड़े एक मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार से कैदियों से मिलने के लिए बनाए गए गाइडलाइन और एसओपी की विस्तृत जानकारी मांगी है। इस मामले में अगली सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की गई है।

दरअसल, हाई कोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने 9 अक्टूबर को जेल आईजी और बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अधीक्षक से पूछा था कि पिछले तीन माह में लालू प्रसाद यादव से कितने लोग मिले है। इसकी जानकारी कोर्ट में पेश किया जाये।

लेकिन पिछली सुनवाई के दौरान इनकी ओर कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई। इसके बाद कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से स्पष्टिकरण पूछा था, तो इनकी ओर से 27 नवम्बर को रिपोर्ट दाखिल की गई। कोर्ट ने इसमें सरकारी अधिवक्ता नियुक्त करने का आदेश दिया था।

आज सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने कोर्ट को बताया कि किसी भी कैदी से मिलने एवं उसकी सुरक्षा के लिए एक एसओपी बनाई गई है। इसी के तहत सारी प्रक्रिया होती है। लालू से मिलने वाले लोग 15 दिन पहले आवेदन देते थे। इसके बाद लालू की सुरक्षा में लगे सुरक्षा कर्मी इसकी जानकारी जेल को देते है। उसके बाद उन्हें लालू से मिलाया जाता है।

इसपर अदालत ने पूछा कि किसके आदेश से लालू को रिम्स के निदेशक बंगले में शिफ्ट किया गया और फिर उन्हें पेईंग वार्ड में शिफ्ट किया गया है। अगर कोई बाहरी व्यक्ति कैदी से मिलता है तो इसके लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार होंगे। इसके अलावा लालू प्रसाद की मिलने वाले सेवादार की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है।

कोर्ट ने इसकी पूरी जानकारी जेल अधीक्षक से मांगी है। इस दौरान सीबीआई की ओर से जेल मैनुअल उल्लंघन का मुद्दा उठाया गया और कहा गया कि नए विवाद में लालू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो गई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह अलग मामला है।

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