लोक अदालत में किन्नर बनी जज, कहा- उन्हें भी मिले समाज में सम्मान

Ranchi: झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस अपरेश कुमार सिंह के निर्देश पर व्यववहार न्यायालय रांची में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें 2471 वादों का निबटारा आपसी सहमति के आधार पर हुआ। लोक अदालत के उद्घाटन के मौके पर ट्रांसजेंडर अल्पेश सोनी ने कहा कि वह किन्नर, सेक्स वर्कर तथा वैसे लोग जिसे समाज तिरस्कार की भावना से देखते हैं उनके साथ मिलकर काम करती हैं। ताकि उन्हें समाज में भी सम्मान मिले और उन्हें भी आगे बढ़ने का रास्ता मिले।

उन्होंने कहा कि हम किन्नर समाज से हैं और पूरा समाज हमें घृणा की दृष्टि से देखता है। काफी मशक्कत और संघर्ष कर मैं इस मुकाम तक पहुंची हूं। झारखंड के सभी न्यायालयों में आयोजित होने वाले लोक अदालत में अगर किन्नर के लिए एक बेंच गठित हो तो किन्नर समाज को भी समाज में सम्मान मिलेगा। हमें भी लोग सम्मान की दृष्टि से देखेंगे। लोक अदालत में पहली बार ट्रांसजेंडर अल्पेश सोनी को बेंच का सदस्य बनाया गया। इस बेंच में न्यायिक दण्डाधिकरी मनीष कुमार सिंह और पैनल अधिवक्ता नित्यानंदद सिंह भी सदस्य थे।

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ट्रांसजेंडर को बेंच का सदस्य नामित करने का उद्देश्य है कि समाज में उन्हें बराबर का दर्जा मिले। ट्रांस्जेंडर, सेक्स वर्कर, शहरी स्लम में रहने वाले लोगों के विरूद्ध अपराध होने पर उसकी रिपोर्टिंग हो सके तथा उन्हें न्याय दिलाने में डालसा सहयोग प्रदान कर सकें। रांची के सीजेएम किरमानी ने कहा कि कोरोना काल में हाई कोर्ट के निर्देश पर रांची सिविल कोर्ट में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया है। वर्चुअल माध्यम से आयोजित होनेवाले राष्ट्रीय लोक अदालत में सहजतापूर्वक निबटा सकते है।

लोक अदालत में ट्रांसजेंडर के लिए बेंच गठित की गयी है, ताकि उनको भी समाज में सम्मान मिले, यह काबिल-ए-तारीफ है। राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 2471 वादों का निष्पादन किया गया एवं 1,18,33,100 रुपयों का सेटल किया गया। इसमें कुल 90 वाद निष्पादित हुए। प्रीलिटिगेशन के कुल 44 मामले और 2427 लंबित मामलों का निस्तारण भी किया गया।

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