Judge Uttam Anand murder case: मोबाइल छीनने की नियत से जज की हत्या करने की थ्योरी सही नहींः हाईकोर्ट

Ranchi: Judge Uttam Anand murder case झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने सीबीआई की उस कहानी को पूरी तरीके खारिज कर दिया, जिसमें यह कहा जा रहा है कि मोबाइल छिनने की नियत से इस घटना को अंजाम दिया गया है।

अदालत ने सुनवाई के दौरान घटना की सीसीटीवी फुटेज चलवाकर जांच अधिकारी और असिस्टेंड सॉलिटसिटर जनरल एसवी राजू को दिखा। अदालत ने कहा कि इस फुटेज में कहीं पर भी ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है कि मोबाइल छिनने के लिए ऐसा किया गया है। अदालत ने इस मामले में सीबीआई से पहले और अब कराए गए ब्रेनमैपिंग और नारको टेस्ट की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने कहा कि इन रिपोर्ट की समीक्षा के बाद अदालत इस मामले में आदेश पारित करेगी। मामले में अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी। सुनवाई शुरू होते ही अदालत ने ऑनलाइन सीसीटीवी फुटेज चलाने का निर्देश दिया। इसके बाद सीबीआई के जांच अधिकारी से पूछा कि क्या सीसीटीवी देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस घटना को मोबाइल छिनने के मकसद से अंजाम दिया गया है।

इसे भी पढ़ेंः Illegal construction: करमटोली में घर तोड़ने के सीओ के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, मांगा जवाब

इस पर जांच अधिकारी ने कहा कि दोनों तरफ से मोबाइल को आता देख ऑटो चालक मोबाइल नहीं लूट पाया। सबसे सामने ऐसा करने से वह डर गया और वहां से भाग गया। फिर अदालत ने पूछा कि जब पहले एक बार ब्रेन मैपिंग और नार्को टेस्ट किया जा चुका है, तो दोबारा इसकी क्या जरूरत पड़ी। जांच अधिकारी ने कहा कहा कि दोनों आरोपितों से हर तरीके से पूछताछ की गई है।

लेकिन मामला स्पष्ट नहीं होने के कारण फिर से जांच कराने की जरूरत हो रही है। अदालत ने सीबीआई की थ्योरी को पूरी तरह से नकार दिया कि यह घटना सिर्फ और सिर्फ मोबाइल छीनने के नियत से की गई है। अदालत का कहना था कि अब उनकी उनकी आशंका सही प्रतीत हो रही है कि यह मामला मिस्ट्री अनएक्सप्लेन की ओर बढ़ रहा है।

अदालत बार-बार इसको लेकर सीबीआई को आगाह करती रही है लेकिन अभी तक सीबीआई की ओर से कोई अहम सुराग नहीं ढूंढ पाना बहुत ही दुखद है। कोर्ट ने कहा कि वह सीबीआई की अबतक की जांच से बिल्कुल संतुष्ट नहीं है। अदालत ने इस ओर इशारा करते हुए कहा कि सीबीआई चाहे कितनी भी तरह जांच करा लें।

लेकिन अगर रिपोर्ट की समीक्षा करने वाला व्यक्ति एक्सपर्ट नहीं है तो कुछ भी सामने नहीं आएगा। क्योंकि मशीन के पीछे आदमी का ही दिमाग होना चाहिए, जो बहुत महत्वपूर्ण है। इस मामले में एक बड़ा षड्यंत्र है जिसे अभी तक ढूंढा नहीं जा सका। जब सीबीआई को कुछ नहीं मिला तो अब वह मोबाइल छीनने की थ्योरी बना रहे हैं लेकिन कोर्ट सीबीआई के इस निष्कर्ष से सहमत नहीं है।

Rate this post
Share it:

Leave a Comment