Judge Uttam Anand murder case: सीबीआई को जांच में मिले कुछ अहम सुराग, जानें हाईकोर्ट को क्या दी जानकारी

Ranchi: Judge Uttam Anand murder case धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने सीबीआई की जांच रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि अभी तक सिर्फ दो लोगों को आसपास ही जांच चल रही है।

अदालत ने कहा कि यह तो स्पष्ट हो गया है कि इन्होंने ने ही जज को जानबूझकर टक्कर मारी है। लेकिन यह संदिग्ध है क्योंकि ऑटो चालक जज को क्यों मार देगा। इसके पीछे तो कुछ मोटिव होना चाहिए। इस पर सीबीआई के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि इस मामले में सीबीआई को कुछ लीड मिली है।

जिसकी जांच की जा रही है। इन दोनों के साथ कड़ी को जोड़ा जा रहा है। इस पर अदालत ने सीबीआई को अगले सप्ताह फिर से जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाई कोर्ट इस मामले की जांच की हर सप्ताह समीक्षा कर रहा है।

एफएसएल की सुविधा बढ़ाने की सटीक योजना नहीं होने पर कोर्ट नाराज
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि जब कोर्ट ने गृह सचिव को स्पष्ट निर्देश दिया था कि रांची स्थित एफएसएल लैब की सुविधा बढ़ाने और रिक्त पदों पर छह माह में सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। लेकिन सरकार ने छह माह में फंड देने की बात कह रहा है।

अदालत ने गृह सचिव की ओर से दाखिल शपथ पत्र को खारिज कर दिया और कहा कि उन्हें दोबारा एक्शन प्लान कोर्ट में दाखिल करना है। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया गृह सचिव ने कोर्ट के आदेश की अवमानना की है। क्योंकि कोर्ट ने इसके लिए स्पष्ट आदेश दिया था।

अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि गृह सचिव को रातभर जागकर एक्शन प्लान बनाना चाहिए। अदालत ने कहा कि यह बहुत दी दुखद है कि कोर्ट के आदेश के बाद उनकी ओर से कोई एक्शन प्लान नहीं दिया गया। कहा कि एक दूसरे के कंधो पर जिम्मेवारी फेंकना ठीक नहीं है।

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इसके बाद अदालत ने एफएसएल निदेशक और गृह सचिव को अगले सप्ताह सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। इसके बाद कोर्ट ने छह माह में एफएसएल की सुविधा बढ़ाने और रिक्त पदों को पूरा करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि इस मामले को लेकर कोर्ट बहुत गंभीर है। सरकार ऐसे मामलों में तेजी से काम नहीं करती है, जहां पर उसे करना चाहिए, लेकिन जिनको तेजी से नहीं करना है उसे बड़ी तेजी से किया जाता है। जबकि इस मामले में वर्ष 2012 से पद रिक्त हैं।

जरूरी काम में तेजी नहीं होने पर ही कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ता है। कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया जाएगा तो इसके लिए जिम्मेवार (चाहे कोई भी हो) के खिलाफ कोर्ट सख्त आदेश पारित करेगी। कहा कि कोर्ट के निर्देश देते ही सरकार को फंड की दिक्कत होने लगती है।

जेपीएससी और जेएसएससी को लगाई फटकार
इस दौरान अदालत ने जेपीएससी और जेएसएससी को भी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि जब पदों पर नियुक्ति के लिए राज्य सरकार की ओर से अधियाचना भेजी गई है, तो अभी तक विज्ञापन क्यों नहीं जारी किया गया है। इस पर जेएसएससी ने जल्द विज्ञापन जारी करने की बात कही।

जेएसएससी की ओर से कहा गया कि सरकार ने अधियाचना भेज दी है, लेकिन विज्ञापन जारी करने से पहले कई प्रकार की प्रक्रियाओं को पूरा करना पड़ता है। इसपर कोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट ने 15 दिन पहले ही सारी प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया था तो देरी क्यों की जा रही है।

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