HC ने कहा- सात साल से बच्ची का गायब होना दुर्भाग्यपूर्ण, DGP बोले- ढूंढ कर लाएंगे

झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद व सुभाष चांद की खंडपीठ में चाईबासा की एक बच्ची की सात साल बाद भी कोई जानकारी नहीं होने पर उसकी मां की ओर से दाखिल हैबिएस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले में यूएडीआइ को प्रतिवादी बनाया है।

इस दौरान डीजीपी, चाईबासा एसएसपी एवं जोनल आइजी कोर्ट में उपस्थित हुए। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि सात साल से बच्ची गायब है और उसका अब तक कोई पता नहीं चलना दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य में पलायन की समस्या है।

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काम कराने के नाम पर झारखंड से बच्चियों को दूसरी जगह ले जाया जाता है, लेकिन उन्हें झारखंड आने नहीं दिया जाता। मानवता की दृष्टि से भी यह मामला गंभीर है। इस दौरान डीजीपी ने कहा कि वे स्वयं इस मामले की निगरानी करेंगे और बच्ची को वापस लाना प्रयास होगा। अदालत ने मामले में एक माह बाद सुनवाई निर्धारित की है।

इस संबंध में बच्ची की मां ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनके अधिवक्ता अल्पना वर्मा की ओर से अदालत को बताया गया कि फरवरी 2016 में चाईबासा के एक गांव के कुछ लोगों ने बच्ची दिल्ली ले जाने और वहां पढ़ाने के साथ-साथ काम कराने का आश्वासन दिया था।

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कुछ दिनों बाद बच्ची ने अपनी मां से कहा था कि उसे वहां अच्छा नहीं लग रहा है। उसे वापस आना है। इसके बाद उन लोगों से संपर्क किया जिन्होंने बच्ची को दिल्ली भेजा था। दिल्ली जाने के दौरान बच्ची की उम्र मात्र दस साल थी। इसके बाद उसकी मां ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बच्ची को वापस लाने की गुहार लगाई है।

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