अल्पसंख्यक कॉलेजों के शिक्षकों को पेंशन नहीं देने पर रांची विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के वेतन पर लगी रोक

Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने आदेश के बाद भी अल्पसंख्यक कॉलेज के शिक्षकों को पेंशन की बकाया राशि नहीं देने कड़ी नाराजगी जताई है। इसके बाद अदालत ने इस मामले में रांची विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के वेतन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।

अदालत ने कहा कि अगर दस सितंबर तक पेंशन की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो उस दिन संबंधित पदाधिकारी अदालत में हाजिर होंगे। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा जब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक ने आदेश को बरकरार रखा है, तो विश्वविद्यालय और राज्य सरकार एक दूसरे पर टाल-मटोल क्यों कर रहे हैं।

दोनों को जल्द इस विवाद को सुलझा लेना चाहिए। बता दें कि इसी मामले में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने पूर्व में पेंशन का भुगतान नहीं होने पर सभी प्रार्थियों को हर्जाने के रूप में 50- 50 हजार रुपये का अतिरिक्त भुगतान करने का आदेश दिया था।

आदेश के बाद सरकार ने सभी को आधी पेंशन के साथ हर्जाने की राशि का भुगतान कर दिया। इस दौरान सरकार ने कहा कि अगले बजट के बाद उक्त राशि का भुगतान किया जाएगा। लेकिन एक साल बाद भी बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया।

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सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता ए अल्लाम ने कहा कि पिछले एक साल से सरकार केवल बकाया राशि के भुगतान का वादा कर रही है, लेकिन अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया है। इस पर अदालत ने रांची विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के वेतन पर रोक लगाने का आदेश दिया।

बता दें कि इस मामले में मंजु शर्मा सहित 75 लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि सरकार ने 19 दिसंबर 2012 को पेंशन से संबंधित एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया है कि संबंधित तिथि के बाद बहाल होने वाले अल्पसंख्यक कॉलेज के शिक्षकों को ही पेंशन का लाभ देने का प्रविधान किया गया है।

इसके खिलाफ एकलपीठ में याचिका दाखिल की गई और कहा गया कि सरकार की नीति बदलने से कई शिक्षकों को नुकसान हुआ है। एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सरकार के आदेश को रद कर दिया था और सरकार को सभी शिक्षकों को पेंशन का लाभ देने को कहा था।

इसके बाद सरकार ने एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ में अपील याचिका दाखिल की। खंडपीठ ने भी एकल पीठ के आदेश को सही ठहराया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। वहां पर भी हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा गया। लेकिन बकाया भुगतान नहीं होने पर प्रार्थियों की ओर से हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई है।

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