जेजे बोर्ड व बाल कल्याण समिति में रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं होने पर कोर्ट नाराज, कहा- सरकार पर लगाया जा सकता है हर्जाना

Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में राज्य के बाल कल्याण समिति, जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड और बाल संरक्षण आयोग में रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई है। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि इस मामले में सरकार को डेढ़ साल पहले ही आदेश दिया गया था।

लेकिन सरकार आज भी जानकारी देने के लिए समय की मांग कर रही है। यह गंभीर मामला है। अदालत ने सरकार को छह सितंबर इसकी विस्तृत जानकारी देने को कहा।सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि जिन स्थानों पर रिक्त पद खाली है वहां कार्यरत सदस्यों की सेवा विस्तार करने पर विचार किया जा रहा है।

कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि इस तरह के जवाब पर हर्जाना भी लगाया जा सकता है। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अनूप अग्रवाल ने बताया कि बाल कल्याण समिति और जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड में चेयरमैन और सदस्यों की सेवा मार्च 2021 को समाप्त हो रही है। पूर्व में सरकार ने इनको सेवा विस्तार दे दिया, जिसकी अवधि 31 अगस्त 2021 को समाप्त हो गया।

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उन्होंने कहा कि नियमानुसार सेवानिवृत्ति होने के छह माह पहले से ही नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ कर देना चाहिए। लेकिन राज्य सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया करने की बजाय सेवा विस्तार दिया है, जो कि 31 अगस्त को समाप्त हो गया है। यह याचिका वर्ष 2018 में ही दाखिल की गई है। लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई सार्थक निर्णय नहीं लिया गया है।

इस दौरान गढ़वा में बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए 47 बच्चों का मामला भी उठाया गया। अदालत से कहा गया कि इन बच्चों के पुनर्वास के लिए सभी सक्षम पदाधिकारियों से आग्रह किया गया है, लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस पर अदालत ने सरकार को प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। इसको लेकर बचपन बचाओ आंदोलन ने जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में बाल संरक्षण आयोग और जेजे बोर्ड में रिक्त पदों को जल्द भरने का आग्रह किया गया है।

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