अपर बाजार की दुकानों व सेवा-सदन को अंतरिम राहत, अपीलीय प्राधिकार बनाए जाने तक तोड़-फोड़ पर रोक

Ranchi :झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सेवा सदन सहित अपर बाजार की दुकानों को तोड़ने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि जब तक इस मामले में अपीलीय प्राधिकार में रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं हो जाती है। तब तक रांची नगर निगम के आदेश के आलोक तोड़फोड़ नहीं की जाएगी।

अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि एक सप्ताह में अपीलीय प्राधिकार में रिक्त पदों पर नियुक्ति की जाए, ताकि नगर निगम के आदेश से असहमित रखने वाले अपील दाखिल कर सकें। ऐसा नहीं होने की वजह से हाईकोर्ट में अनावश्यक रूप से बोझ बढ़ रहा है। नगर निगम के आदेश के खिलाफ कई वादी सीधे हाईकोर्ट पहुंच रहे हैं।

निगम के एक्ट के अनुसार उन्हें अपील दाखिल करने का अधिकार है। सक्षम प्राधिकार नहीं होने की वजह से ऐसा हो रहा है। सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि रांची नगर निगम अवैध निर्माण को लेकर कानून सम्मत आदेश पारित करे। अगर किसी के घर तोड़ने का आदेश देने के पहले सभी पहलूओं की गहनता से जांच की जानी चाहिए, ताकि नैसर्गिक न्याय का पालन किया जा सके।

अपर बाजार में ट्रैफिक समूचित चलाना सुनिश्चित करें एसएसपी

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अपर बाजार में ट्रैफिक का परिचालन समूचित तरीके से होना चाहिए। रांची एसएसपी और ट्रैफिक एसपी इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। इसके लिए वन-वे का प्रावधान किया जा सकता है। नो पार्किंग जोन बनाए जा सकते हैं। लेकिन जब तक अपर बाजार के लिए पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है, तब तक दूसरे विकल्प पर विचार किया जा सकता है।

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अदालत ने कहा कि अपर बाजार की सड़क पर दुकानदार सहित किसी भी व्यक्ति की गाड़ी खड़ी नहीं होनी चाहिए। इससे आने-जाने वाले लोगों को परेशानी होती है और यह एक नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन भी है। अदालत ने इस दौरान नगर आयुक्त को निर्देश दिया कि वे बकरी बाजार में प्रस्तावित पार्किंग को जल्द से जल्द बनाएं। निगम की ओर से कहा गया कि वहां पुराने वाहन हैं और उनको हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

चैंबर ऑफ कामर्स ने दाखिल की है हस्तक्षेप याचिका

झारखंड चैंबर ऑफ कामर्स की ओर से नगर निगम के आदेश के खिलाफ हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई है। चैंबर के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अपर बाजार के करीब 35 दुकानों को नगर निगम की ओर से तोड़ने का आदेश दिया गया है। जबकि वहां पर निर्मित भवन वर्ष 1974 से पहले बने हुए हैं। ऐसे में उस दौरान के नियम से कार्रवाई होनी चाहिए।

इसके अलावा निगम हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर उक्त कार्रवाई कर रहा है। इसपर हाईकोर्ट ने नाराज़गी जाहिर करते हुए क्या कोर्ट कभी भवन तोड़ने का आदेश दिया है। फिर अदालत के आदेश का हवाला देकर नोटिस क्यों भेजा जा रहा है। नगर निगम को हाईकोर्ट के आदेश की बैसाखी की जरूरत क्यों पड़ रही है। यह तो आरएमसी का काम है।

इस दौरान नगर विकास विभाग सचिव अदालत में हाजिर होकर आश्वस्त किया कि अब से ऐसा नहीं होगा। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार, नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसी एन शाहदेव, चैंबर की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल सिन्हा और सुमित गड़ोदिया ने अदालत में अपना पक्ष रहा।

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