वकील की जमीन पर जबरन कब्जा करने के मामले में हाईकोर्ट ने कहा- मूकदर्शक नहीं बने रह सकती कोर्ट

Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने एक वकील की जमीन पर जबरन कब्जा करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने नहीं करने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। अदालत ने नाराजगी जताते हुए रांची के एसएसपी को उक्त जमीन पर चल रहे निर्माण कार्य बंद कराने और आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर बुधवार को अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने इस मामले में महाधिवक्ता को भी निर्देश लेकर दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

इसको लेकर अधिवक्ता स्वीटी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। प्रार्थी की ओर से पक्ष रखते हुए एडवोकेट एसोसिएशन की अध्यक्ष ऋतु कुमार और नलिनी झा ने कहा कि प्रार्थी की माता ने वर्ष 1986 में गुटुवा मौजा मे प्लाट संख्या 12 और खाता क्रमांक संख्या 174 की जमीन खरीदी थी। जमीन पर कुछ लोग कब्जा कर रहे हैं।

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इसके खिलाफ उन्होंने पुलिस से शिकायत की थी और प्राथमिकी दर्ज करने को कहा था। लेकिन पुलिस ने अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की है। इसके बाद प्रार्थी ने रांची के एसएसपी को भी इसकी सूचना दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी। अदालत को बताया कि जमीन लेने के बाद उनकी माता का निधन हो गया था।

कोरोना काल में उनके पिता का भी निधन हो गया। अभी वह अपने भाई के साथ रहती हैं। जमीन हड़पने का प्रयास करने वाले काफी प्रयास कर रहे हैं। जबकि उन्होंने पुलिस से कई बार शिकायत की और जमीन का सीमांकन करने का भी आग्रह किया, लेकिन पुलिस अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।

सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि न्यायालय के संज्ञान में लाई गई इस असाधारण स्थिति को देखकर न्यायालय मूकदर्शक नहीं रहेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कानून और व्यवस्था की स्थिति राज्य का विषय है और न्यायालय का इससे कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन साथ ही यदि न्यायालय के किसी अधिकारी को इस तरह परेशान किया जा रहा है, तो न्यायालय हस्तक्षेप करने के लिए बाध्य है।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि याचिकाकर्ता द्वारा लिखित शिकायत के बावजूद रातू पुलिस प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रही है। याचिका में लगाए गए आरोपों बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है । अदालत ने रांची के एसएसपी को अदालत के आदेश का पालन कर बुधवार को सुबह 10.30 बजे तक सूचित करने का निर्देश दिया।

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