झारखंड में हो रहे अवैध खनन (Illegal mining) पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने सख्ती दिखाई है। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में अवैध खनन को गंभीरता से लिया है। अदालत ने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठन करने का निर्देश गृह सचिव को दिया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि झारखंड में खनिज का भंडार है और राज्य के राजस्व प्राप्त करने का मुख्य साधन है। ऐसे में अवैध खनन होना उचित नहीं है। सरकार को अवैध खनन पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।
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अदालत ने गृह सचिव से कहा है कि उक्त कमेटी में आईजी रैंक के पुलिस अधिकारी और खान एवं भूतत्व विभाग के जानकार अधिकारियों को इसमें शामिल किया जाए। उक्त कमेटी राज्य के पलामू, गढ़वा और लातेहार जिले में हो रहे अवैध खनन की जांच करेगी। वहां के उपायुक्त जांच कमेटी का सहयोग करेंगे।
अवैध खनन की जांच के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट अदालत में दाखिल करेगी। इसको लेकर पंकज कुमार यादव की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा गया है कि खान विभाग के एक वरीय अधिकारी ने खान संचालक से खनन के लिए 20 लाख रुपये की मांग की थी। जांच में उक्त अधिकारी को क्लीन चिट मिल गई।
प्रार्थी ने दावा किया है कि पलामू सहित अन्य जिलों में खान विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध खनन कराया जाता है। इसके लिए बड़ी मात्रा में पैसों की लेनदेन होती है। विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। अदालत ने अवैध खनन की जांच के लिए कमेटी बनाने का निर्देश दिया है।