एनटीपीसी जमीन अधिग्रहण मामले में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को नहीं मिली जमानत, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

रांचीः झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने योगेंद्र साव को जमानत देने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी। योगेंद्र साव की ओर से हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की गई थी।

सुनवाई के दौरान योगेंद्र साव के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एनटीपीसी जमीन अधिग्रहण मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले ने अपनी गवाही में कहा है कि वे घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे, जब पुलिस के साथ लोगों को झड़प हुई थी।

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इसके अलावा योगेंद्र साव इस मामले में दो साल दस माह जेल में रह चुके हैं। ऐसे में उन्हें जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए। इस पर अदालत ने उन्हें जमानत की सुविधा प्रदान नहीं की जा सकती है, क्योंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इनकी जमानत खारिज कर चुका है।

इसलिए हाईकोर्ट भी इस मामले में योगेंद्र साव के जमानत नहीं दे सकती है। इसके बाद अदालत ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि हजारीबाग के बड़कागांव में एनटीपीसी के लिए जमीन अधिग्रहण किया जा रहा था। इसके विरोध में योगेंद्र साव के नेतृत्व में सत्याग्रह आंदोलन चलाया गया था।

इस दौरान ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी। इस मामले में योगेंद्र साव फिलहाल जेल में बंद हैं।

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