चुनाव में नक्सली का सहयोग लेने का मामलाः एमपी-एमएलए कोर्ट ने कांग्रेसी नेता डॉ अजय कुमार को साक्ष्य के अभाव में किया बरी

Ranchi: जमशेदपुर के पूर्व सांसद डॉ अजय कुमार को रांची की एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। एमपी-एमएलए के विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार की अदालत ने चुनाव के दौरान नक्सली समर से सहयोग लेने के मामले में डॉ अजय कुमार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

इससे पहले पूर्व सांसद डॉ अजय कुमार मंगलवार को कोर्ट में हाजिर होकर अपना बयान दर्ज कराया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि वे इस मामले में बेगुनाह है। इस मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दरअसल, डॉ अजय कुमार जमशेदपुर लोकसभा उपचुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। उनकी जीत के बाद भाजपा के उम्मीदवार दिनेशानंद गोस्वामी ने 2011 में साकची थाना में डॉ अजय कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसकी शिकायत चुनाव आयोग से भी की थी।

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प्राथमिकी में कहा गया कि कि उन्होंने चुनाव जीतने के लिए नक्सली समर से मदद ली और मतदाताओं को प्रभावित किया है। नक्सली समर और अजय कुमार की बातचीत की एक सीडी भी जांच एजेंसी को उपलब्ध कराई गई थी। बाद में इसकी जांच सीआईडी को सौंप दी गई।

सीआईडी अदालत में अंतिम प्रपत्र दाखिल कर दिया। लेकिन सीजीएम जमशेदपुर ने सीआईडी के रिपोर्ट को अवलोकन करते हुए 29 अप्रैल 2014 को डॉ अजय कुमार एवं प्रभात भुईयां के विरुद्ध संज्ञान लेते हुए उन्हें समन जारी किया। इसके बाद डॉ अजय कुमार ने जमशेदपुर न्यायालय में हाजिर हुए।

इसके बाद अदालत ने इनके खिलाफ आरोप तय किया। सुनवाई के दौरान इस मामले में सूचक दिनेशानंद गोस्वामी और सरयू राय गवाही देने नहीं पहुंचे। इसके बाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में डॉ अजय कुमार को बरी कर दिया। बता दें कि एमपी-एमएलए विशेष अदालत का गठन होने के बाद 26 सितंबर 2020 को मुकदमा रांची पहुंचा था।

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