हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का छलका दर्द, कहा- सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन संस्थाएं चलती रहेंगी

Ranchi: हाई कोर्ट के बार-बार आदेश के बाद भी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड नहीं दिए जाने पर गुरुवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का दर्द छलका और उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन संस्थान चलते रहेंगे। किसी को इस बात की कतई गलतफहमी पालनी नहीं चाहिए कि जजों को कुछ भी पता नहीं होता है। लेकिन हमें सभी बातों की जानकारी रहती है।

अदालत ने कहा कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की बुनियादी संरचाएं और हाई कोर्ट के नए भवन का अधूरे काम को सरकार को ही पूरा करना होगा और इसे पूरा करने से कोई रोक नहीं सकता है। इस दौरान अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के नए भवन सहित अन्य राज्यों के संस्थानों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की सरकारों ने संस्थानों के बेहतरी में पैसे की कमी नहीं आने दी है।

लेकिन यहां की सरकार जिद पर अड़ी है। सरकार को इस बारे में सोचना होगा कि राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य की सेवाएं बेहतर होंगी तो आने वाला कल बेहतर होगा। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। यूनिवर्सिटी में यहां छात्रों को लिए पचास फीसदी सीट आरक्षित है, लेकिन सरकार बुनियादी सुविधाओं के लिए वित्तीय सहयोग नहीं करना चाहती है।   

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अदालत ने कहा कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड नहीं देना और हाई कोर्ट के नए भवन को ऐसे ही छोड़ देना या तो राजनीतिक अपरिपक्वता निशानी है या फिर नौकरशाहों की मनमानी है। लेकिन किसी संस्थान को बेहतर सुविधा देने से कोई रोक नहीं सकता है। अदालत ने कहा कि हम अब नए हाई कोर्ट जाना ही नहीं चाहते हैं, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि वहां का अधूरा भवन हमें चिढ़ा रहा है।

सरकार नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को एकमुश्त राशि देकर पल्ला नहीं झाड़ सकती है। अदालत ने मुख्य सचिव से कहा कि वे सरकार को समझाएं कि वह ऐसा नहीं करे। लोकतंत्र में कोई राजा नहीं होता है। सभी को अलग- अलग अधिकार दिया गया है। इस दौरान महाधिवक्ता की ओर से विस्तृत शपथ पत्र दाखिल करने के लिए समय की मांग की गई जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। इस दौरान मुख्य सचिव, भवन सचिव, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वीसी ऑनलाइन कोर्ट में हाजिर हुए थे।

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