चीफ जस्टिस ने सरकार के दावे की खोली पोल, अदालत में ही मंगाया गुटखा

रांची। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में राज्य में गुटखा के प्रतिबंधित होने के बाद भी बिक्री होने के मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान ने अदालत सरकार के दावे की पोल खोल दी और सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जब इसकी बिक्री पर प्रतिबंध है, तो यह हर जगह आसानी को क्यों मिल जा रहा है। चीफ जस्टिस ने उस समय अदालत में ही गुटखा मंगा लिया, जब कोर्ट ने जब खाद्य आपूर्ति विभाग के विशेष सचिव से पूछा कि रोक के बावजूद गुटखा क्यों बिक रहा है, तो सचिव ने कहा कि गुटखे की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंध है।

इस पर चीफ जस्टिस ने आश्चर्य जताया और एक कर्मचारी को बाजार भेज कर गुटखा लाने को कहा। दस मिनट में कर्मचारी ने पांच- छह प्रकार का गुटखा ला दिया। इस पर कोर्ट ने सचिव से पूछा यह कैसा प्रतिबंध है, देख लीजिए। इस पर सचिव ने आश्वस्त किया कि इसकी जांच कर अविलंब कार्रवाई की जाएगी। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार सिर्फ कागज में ही काम कर रही है। अदालत ने सरकार को अगली तिथि को राज्य में गुटखा की बिक्री पूरी तरह बंद करने का आदेश देते हुए शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि शपथपत्र में यह स्पष्ट लिखा होना चाहिए कि राज्य में गुटखा की बिक्री अब नहीं हो रही है।

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अदालत ने सरकार से पूछा है कि जब 2017 से राज्य में गुटखे पर प्रतिबंध है, तो इसकी बिक्री कैसे हो रही है। इस पर रोक लगाने के पूर्व सरकार ने कोई स्टडी किया था या नहीं। क्योंकि गुटखा और जर्दा को अलग-अलग बेचा जा रहा है। लोग इसे एक साथ मिलाकर खाते हैं। अदालत ने कहा कि यहां दस रुपये में मौत बिक रही है। क्योंकि गुटखा में जहर ही तो है। अदालत ने कहा कि क्या सरकार के पास इसका रिकॉर्ड है कि गुटखा कहां से आ रहा हैं। राज्य में इंट्री प्वाइंट कहां है। क्या झारखंड में इसके निर्माण की फैक्ट्री है या नहीं। अदालत ने चार दिसंबर तक विस्तार से इसकी जानकारी शपथपत्र के माध्यम से अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि फरियाद फाउंडेशन ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर राज्य में प्रतिबंध के बावजूद गुटखे की बिक्री होने का मामला उठाया है। याचिका में कहा गया है कि प्रतिबंध के बावजूद राज्य में गुटखे की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है और सरकार कुछ नहीं कर रही है। राज्य में गुटखे की बिक्री पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाने का आग्रह अदालत से किया गया है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव को हाजिर होने का निर्देश दिया था, लेकिन उनके अस्वस्थ रहने के कारण विशेष सचिव वीडियो कांफ्रेंसिंग से हाजिर हुए। 

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