ब्लैक फंगस मामला: पीड़िता की मौत पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कोरोना काल में सेवा की बजाय पैसा उगाही कर रहे अस्पताल

Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स में भर्ती ब्लैक फंगस (Black fungus) की मरीज उषा देवी की मौत पर रिम्स निदेशक (RIMS Director) को कड़ी फटकार लगाई गई है। अदालत ने कहा कि पीड़त महिला का देर से इलाज शुरू किया गया। इसके चलते महिला की मौत हो गई हो गई है। अदालत ने कहा कि इस मालमे में डॉक्टरों ने अनदेखी की है।

चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने कहा कि जब महिला एक महीने से रिम्स में भर्ती थी तो उसका ऑपरेशन पहले क्यों नहीं किया। इलाज में देरी के चलते ही महिला की मौत हो गई है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोरोना काल में डॉक्टर सेवा की बजाय पैसा कमाने की मशीन बन गए हैं। उनमें अब संवेदना ही नहीं रही है।

उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में नए डॉक्टर्स को एथिक्स पढ़ाए जाने की जरूरत है। इसके बाद अदालत ने पीड़िता के मौत की जांच रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने कहा कि रिम्स निदेशक अपनी टीम के साथ इस मामले की जांच करें और रिपोर्ट दाखिल करें कि आखिर किस वजह से महिला की मौत हुई है।

अदालत ने सुनवाई के दौरान ही रिम्स निदेशक को वीसी के जरिए अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया। कुछ देर बाद रिम्स निदेशक अदालत में हाजिर हुए तो अदालत ने उनसे पूछा कि ब्लैक फंगस की पीड़ित महिला का क्या हुआ। रिम्स निदेशक ने कोर्ट को बताया कि सर्जरी के बाद उक्त महिला की तबीयत खराब हो गई।

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उसे तत्काल आईसीयू में भर्ती कराया गया लेकिन उसके ब्लड प्रेशर और शुगर नियंत्रित नहीं होने की वजह से उसकी मौत हो गई। अदालत ने पूछा कि वह महिला कब भर्ती हुई थी। रिम्स निदेशक ने बताया कि लगभग एक माह पहले उक्त महिला रिम्स में भर्ती हुई थी।

अदालत ने कहा कि उसकी सर्जरी में इतनी देर क्यों हुई। देरी की वजह से ब्लैक फंगस पीड़ित माहिला के दिमाग तक पहुंच गया था। अगर पहले उनकी सर्जरी हो जाती तो उसका जीवन बच जाता। कोरोना में डॉक्टरों ने काफी अच्छा काम किया। लेकिन इस मामले में मरीज की अनदेखी की गई है।

अदालत ने कहा हम इस मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराना चाहते हैं। इस पर रिम्स निदेशक ने कहा कि उन्होंने इसकी जांच का मौखिक आदेश दिया है। कोर्ट जांच रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने को कहा। इसके अलावा अदालत ने राज्य सरकार को सभी जिला अस्पतालों में ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज की सुविधा बढ़ाने का निर्देश दिया है।

अदालत ने कहा कि रिम्स एक सरकारी संस्था है। उसमें इतनी बड़ी लापरवाही कैसे की जा सकती है। हर किसी की जान कीमती होती है। पीड़ित के परिजनों को इस बात की जानकारी लेने का पूरा हक है कि पीड़ित का कैसे इलाज किया जा रहा है।

चिकित्सकों को यह समझना चाहिए कि वर्तमान में कोरोना संक्रमण उनका दुश्मन है न कि कोई मरीज उनका दुश्मन है। उन्हें मरीज को परिजनों के साथ ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए। रिम्स निदेशक ने कोर्ट की बातों से सहमति जताई और कहा कि इसकी जांच की जाएगी।

अदालत ने इस मामले को निष्पादित कर दिया। बता दें कि ब्लैक फंगस पीड़िता उषा देवी के बेटे की ओर से चीफ जस्टिस को लिखे पत्र पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में बदल दिया था। इसके बाद अदालत ने महिला का समुचित इलाज का निर्देश रिम्स को दिया था।

राज्य में अब तक 160 ब्लैक फंगस के मरीजः सरकार

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि राज्य में अब तक 160 ब्लैक फंगस के मरीज है। इसमें 101 में ब्लैक फंसग होने की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 59 अभी संदिग्ध मरीज है। राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया है और इससे निपटने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए गए हैं। सरकार के ऐसे मरीजों को मुफ्त दवा उपलब्ध करा रही है। इसके इलाज के लिए एसओपी भी बनाया गया है।

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