झारखंड की कचहरी में 15 दिनों में होगी आमने-सामने की सुनवाई, झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

रांचीः झारखंड की अदालतों (Jharkhand Court) में अब प्रत्यक्ष सुनवाई होगी। फिजिकल (Physical Corut Open) सुनवाई पर शुक्रवार को हाईकोर्ट कोर कमेटी और झारखंड बार काउंसिल के प्रतिनिधिमंडल के बीच वार्ता के बाद सहमति बनी।

हालांकि फिजिकल सुनवाई शुरु करने में 15 दिनों का समय अभी लगेगा। जिन जिलों में कोरोना का संक्रमण अधिक होगा वहां फिजिकल कोर्ट की संख्या कम होगी और कम संक्रमण वाले जिलों में फिजिकल सुनवाई के लिए अधिक कोर्ट बनाए जाएंगे।

फिजिकल कोर्ट की प्रक्रिया शुरू होने के बाद इसकी समीक्षा भी की जाएगी। सब कुछ सामान्य रहने पर दो माह बाद नियमित कोर्ट किया जा सकता है। हाईकोर्ट सहित सभी अदालतों में यह व्यवस्था लागू होगी।

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इस दौरान सभी को सरकार और हाईकोर्ट की ओर से जारी गाइड लाइन का पालन करना जरूरी होगा।
वार्ता के दौरान बार काउंसिल ने वर्चुअल कोर्ट से वकीलों को होने वाली परेशानी से अवगत कराया।

इस दौरान जिला अदालतों के वकीलों की खराब आर्थिक स्थिति की जानकारी दी गयी। इस पर हाईकोर्ट कोर कमेटी की ओर से भी सहमति दी गयी और जरूरी एहतियात के साथ चरणबद्ध तरीके से जिला अदालतों में भी फिजिकल सुनवाई पर सहमति बनी।

हाईकोर्ट कोर कमेटी की ओर से चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन, जस्टिस एचसी मिश्र और जस्टिस आनंद सेन और काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र कृष्णा, उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला, बार काउंसिल ऑफ इंडिया में झारखंड के प्रतिनिधि प्रशांत कुमार सिंह, राधेश्याम गोस्वामी, गोपेश्वर झा एवं अन्य शामिल हुए।


हाईकोर्ट में 11 जनवरी को होगा ट्रायल
झारखंड हाईकोर्ट में 11 जनवरी को एक खंडपीठ फिजिकल सुनवाई करेगी। इस बेंच का गठन परीक्षण के तौर पर किया गया है। इस बेंच में जस्टिस एचसी मिश्र और जस्टिस राजेश कुमार सुनवाई करेंगे।

यह बेंच इस दिन सप्लीमेंटरी लिस्ट में सूचीबद्ध दस मामलों की सुनवाई करेगी। सप्लीमेंटरी लिस्ट की मामलों की सुनवाई पूरी करने के बाद यह खंडपीठ भी वर्चुअल सुनवाई करेगी।

हाईकोर्ट में आठ कोर्ट रूम तैयार
फिजिकल सुनवाई के लिए झारखंड हाईकोर्ट में कोर्ट रूम तैयार किए गए हैं। हर न्यायालय कक्ष को शीशे के तीन लेयर से घेरा गया है। जजों के टेबल के सामने, कोर्ट मास्टर और पेशकार के सामने शीशा का घेरा लगाया गया है।

दोनों पक्षों को वकील जहां से बहस करते हैं वहां भी शीशे का केबिन बनाया गया है। इसी प्रकार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए कोर्ट रूम में छह से आठ वकीलों के ही बैठने की व्यवस्था कर पूरी कर ली गयी है।

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