60 साल से प्रतिबंध, फिर भी बिक रही शराब, गुजरात हाईकोर्ट इसपर करेगा सुनवाई

Ahmadabad: liquor Ban in Gujrat गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि गुजरात निषेध अधिनियम 1949 के खिलाफ दायर विभिन्न याचिकाओं को सुना जाना चाहिए। इस अधिनियम के तहत गुजरात में शराब का उत्पादन, बिक्री व उपभोग प्रतिबंधित है। चीफ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीरेन वैष्णव ने कहा कि अदालत को लगता है इन याचिकाओं को सुना जाना चाहिए और मेरिट पर निर्णय लेना चाहिए।

याचिका के मुताबिक, 60 साल से प्रतिबंध के बावजूद आज भी गुजरात में शराब उपलब्ध हो जाती है। इसके लिए एक अंडरग्राउंड नेटवर्क काम करता है। इसमें छोटे-बड़े और संगठित अपराधी व वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं। हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर आखिरी सुनवाई 12 अक्तूबर को रखी है। वहीं राज्य सरकार ने याचिकाओं को सुनवाई के योग्य नहीं माना।

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हाईकोर्ट के निर्णय के बाद राज्य के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने संकेत भी दिया कि सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी। सरकार की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1951 में इस अधिनियम को बरकरार रखने का निर्णय देने के बाद इसकी वैधता का विश्लेषण करने की अनुमति इस अदालत को किसी भी अन्य कानून, नए कानून या अतिरिक्त वजहों के आधार पर नहीं हो सकती।

महाधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी कानून को अगर आज वैध ठहराया है, तो वही उसे कल अवैध ठहरा सकती है, गुजरात हाईकोर्ट इसके लिए उचित फोरम नहीं होगा। अधिनियम को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का कहना था कि याचिका पर मेरिट के आधार पर निर्णय होना चाहिए। 1951 में जो परिस्थितियां थी, आज हालात उनसे बेहद अलग हैं। एक याचिका में यह भी कहा गया कि इस अधिनियम के प्रावधान मनमाने, अतार्किक, अनुचित और भेदभावपूर्ण है।

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