Ranchi: SDO promotion झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत के 25 एसडीओ को एडिशनल कलेक्टर के पद पर प्रोन्नति की अनुशंसा के बाद अधिसूचना जारी नहीं करने पर कड़ी नाराजगी जताने के बाद अब सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसकी जानकारी इस मामले में वादियों का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता शादाब बिन हक ने दी।
उन्होंने बताया कि 15 सितंबर को इस मामले में अदालत में सुनवाई हुई थी। इस दौरान अदालत ने मुख्य सचिव की ओर से शपथ पत्र दाखिल नहीं किए जाने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई थी और कार्मिक विभाग के उस शपथ पत्र को दरकिनार कर दिया जिसमें चार सप्ताह में अदालत के आदेश के अनुपालन करने की बात कही गई थी।
अदालत ने कहा कि इस मामले में मुख्य सचिव स्वयं 30 सितंबर तक शपथ पत्र दाखिल करें, अन्यथा उन्हें उस दिन अदालत में हाजिर होकर जवाब देना होगा। इसको लेकर सुषमा नीलम सोरेंग सहित अन्य वादियों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
वादी सुषमा नीलम सोरेन के अधिवक्ता शादाब बिन हक ने अदालत को बताया कि डीपीसी (विभागीय प्रोन्नति कमेटी) ने सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद नवंबर 2020 को ही एडिशनल कलेक्टर के पद पर प्रोन्नति की अनुशंसा कर दी। इस पर मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री ने भी अपनी अनुमति प्रदान कर दी।
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इसके बाद भी विभाग की ओर से प्रोन्नति की अधिसूचना जारी नहीं की गई। अब इस मामले में कहा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए मुख्य सचिव ने एक पत्र जारी किया था। दिसंबर 2020 में जारी पत्र में कहा गया था कि कोरोना संक्रमण के चलते राज्य में लंबित सभी प्रोन्नति पर रोक लगाई जा रही है।
अधिवक्ता शादाब बिन हक ने कहा कि रोक के बाद भी जनवरी 2021 में सीडीपीओ को प्रोन्नति देते हुए जिला समाज कल्याण पदाधिकारी बना दिया गया। ऐसे में जब राज्य में प्रोन्नति पर रोक है, तो सीडीपीओ को प्रोन्नति कैसे दे दी गई, जबकि उनके मामले में सारी प्रक्रिया पूरी कर पूर्व में ही अनुशंसा भी दे दी गई।
लेकिन अभी तक अधिसूचना न जारी कर राज्य सरकार उनके साथ भेदभाव कर रही है। प्रोन्नति के मामले में राज्य सरकार मनमाने तरीके से काम कर रही है, जो कि उचित नहीं है। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में मुख्यसचिव को शपथ पत्र दाखिल कर स्थिति की जानकारी देने का निर्देश दिया था।
अदालत ने सीएम से पूछा था कि जब प्रोन्नति की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी, तो सिर्फ अधिसूचना जारी करने में देरी क्यों हो रही है। लेकिन सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव की बजाय कार्मिक विभाग की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया था। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। इस मामले में अब 30 सितंबर को सुनवाई होगी।