7th JPSC Exam: उम्र में छूट देने से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार, कहा- राज्य सरकार के निर्णय में कोर्ट नहीं करेगी हस्तक्षेप

New Delhi: 7th JPSC Exam जेपीएससी की ओर से सिविल सेवा परीक्षा-2021 में उम्र की छूट मांगने वाले अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इन्कार कर दिया है। बुधवार को सुनवाई के बाद जस्टिस एमआर शाह एवं जस्टिस एएस बोपन्ना की अदालत ने अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए अदालत याचिका को खारिज करती है।

सुनवाई के दौरान जेपीएससी की ओर से अदालत को बताया गया कि वर्ष 2016 के बाद सिविल सेवा परीक्षा नहीं हुई है। इसलिए वर्ष 2021 में होने वाली परीक्षा के लिए उम्र सीमा का निर्धारण (कट ऑफ डेट) वर्ष 2016 रखा गया है। ऐसे अगर उम्र की छूट दी जाती है, तो चालीस-पैतालीस साल के लोग परीक्षा में शामिल हो जाएंगी। जबकि नई नियमावली के अनुसार न्यूनतम उम्र की सीमा 35 रखी गई है।

जेपीएससी की ओर से यह भी कहा गया कि सिविल सेवा के लिए 19 सितंबर को प्रारंभिक परीक्षा हो गई है। ऐसे में उम्र में छूट देना संभव नहीं है। इस को लेकर में वादी रीना कुमारी सहित अन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एसएलपी दाखिल की गई है। झारखंड हाईकोर्ट ने उम्र सीमा निर्धारण करने के राज्य सरकार के निर्णय को सही बताते हुए अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज कर दी थी।

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अपराजिता भारद्वाज, कुमारी सुगंधा ने बताया कि यह सिर्फ उम्र की सीमा निर्धारण का मामला नहीं है, बल्कि सरकार की ओर से बनाई नई नियमावली को पीछे की तिथि से आधिकारिक आदेश से संशोधित करने का मामला भी शामिल है। राज्य सरकार ने नियमावली बनाने से पूर्व के पदों को भी नए विज्ञापन में शामिल कर लिया है। नए विज्ञापन में उम्र सीमा का निर्धारण नए तरीके से लागू है।

सरकार ने एक आधिकारिक आदेश जारी कर नियमों को बदला है। आधिकारिक आदेश से नियमों के प्रविधानों को नहीं बदला जा सकता है। 21 सालों में जेपीएससी ने सिर्फ छह परीक्षाएं ही ले पाया है। इसमें से तीन परीक्षाओं की जांच सीबीआई कर रही है। इस पर अदालत ने कहा था हम आपकी परेशानी समझ रहे हैं, लेकिन उम्र निर्धारण सरकार का निर्णय है।

सरकार के निर्णय को हाईकोर्ट ने था सही
झारखंड हाईकोर्ट में सिविल परीक्षा में उम्र सीमा के निर्धारण को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि नियमानुसार जेपीएससी को हर साल परीक्षा आयोजित करनी थी। वर्ष 2020 में जेपीएससी की ओर से सिविल सेवा परीक्षा के लिए निकाले गए विज्ञापन में उम्र का निर्धारण की सीमा वर्ष 2011 रखा गई थी। लेकिन सरकार ने इस रद करते हुए दोबारा संशोधित विज्ञापन जारी किया।

जिसमें उम्र निर्धारण की सीमा वर्ष 2016 कर दिया गया। 5 वर्ष उम्र अधिक होने की वजह से हजारों अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। इस दौरान सरकार ने कहा था कि पहले जेपीएससी परीक्षा के लिए कोई नियमावली नहीं थी। अब सरकार ने नियमावली बनाई है और उसी के तहत परीक्षा ली जा रही है। वर्ष 2016 के बाद जेपीएससी की परीक्षा 2021 में ली जा रही है इसलिए उम्र सीमा का निर्धारण 2016 से किया जा रहा है।

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