Ranchi: 7th JPSC Exam झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डा एसएन पाठक की अदालत में सातवीं जेपीएससी की पूरी प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने जेपीएससी और प्रार्थी से जवाब मांगा है। अदालत ने जेपीएससी से पूछा किन परिस्थितियों में ऐसा नियम बनाया गया है कि ओएमआर शीट पर अब परीक्षा कक्ष निरीक्षक के हस्ताक्षर की जरूरत नहीं है। इससे जेपीएससी को क्या लाभ है।
प्रार्थी को यह स्पष्ट बताना है कि ओएमआर शीट पर कक्ष निरीक्षक के हस्ताक्षर नहीं होने से वे कैसे प्रभावित हो रहे हैं। इस संबंध में पूर्णिमा कुमारी मिश्रा की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। उनके अधिवक्ता अरुण कुमार दुबे ने अदालत को बताया कि प्रार्थी भी सातवीं जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुईं थी। ओएमआर शीट पर परीक्षा केंद्र के निरीक्षक का हस्ताक्षर नहीं था।
ऐसे में प्रारंभिक परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका है, इसलिए सातवीं जेपीएससी की पूरी प्रक्रिया का रद किया जाए। इसके बाद जेपीएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि नई व्यवस्था के तहत अब ओएमआर शीट पर केंद्र के निरीक्षक के हस्ताक्षर की जरूरत नहीं है। अब अभ्यर्थियों को ओएमआर शीट की कॉर्बन कॉपी दी जा रही है। इसके साथ केंद्र की उपस्थिति पंजिका पर अभ्यर्थी और केंद्र निरीक्षक का संयुक्त रूप से हस्ताक्षर होता है।
ओएमआर शीट पर बार कोड दिया गया है। इससे गड़बड़ी की संभावना नहीं है। बार कोड जेपीएससी की ओर से नहीं बनाया जाता है, यह गोपनीय होता है। यह भी कहा गया कि प्रार्थी की यह याचिका में स्पष्ट नहीं हो पाया है कि केंद्र निरीक्षक के हस्ताक्षर नहीं करने से वह कैसे प्रभावित हो रही हैं। इस पर अदालत ने जेपीएससी से नई व्यवस्था की पूरी जानकारी देने और प्रार्थी को इस व्यवस्था से प्रभावित होने की स्पष्ट जानकारी मांगी है।
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